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"अनुभव / ज़्यून तकामी" के अवतरणों में अंतर

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कैसे समा जाती है हरियाली
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अचानक
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आकाश की चमक से
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मेरी आँखें चौंधियाईं
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'''रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
 
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प्रतिबिम्ब आसमान का ।
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ऎसा लगा अचानक
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आँखों पर मेरी किया हो वार
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बेहोश हो गया मैं
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सिर चकराने लगा मेरा
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कठोर था, बेहद कठोर
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अनुभव का यह प्रहार ।
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दर्द से सिर
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02:02, 8 जनवरी 2012 के समय का अवतरण

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: ज्यून तकामी  » संग्रह: पहाड़ पर चढ़ना चाहते हैं सब
»  अनुभव

मैं लेटा हुआ था
औ' दीवार पर लगे आईने में
झलक रहा था बग़ीचा

तभी कोशिश की मैंने
यह देखने की—

कैसे समा जाती है हरियाली
इस आईने में

अचानक
आकाश की चमक से
मेरी आँखें चौंधियाईं
और मुझे चक्कर आने लगा

मेरी जान निकल गई
सिर घूम रहा था
और बेतहाशा
दर्द हो रहा था मेरे सिर में

रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय