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"वीरा के लिए / नाज़िम हिक़मत" के अवतरणों में अंतर

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आओ, वह बोली
 
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01:21, 21 जुलाई 2009 के समय का अवतरण

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: नाज़िम हिक़मत  » संग्रह: चलते फ़िरते ढेले उपजाऊ मिट्टी के
»  वीरा के लिए

आओ, वह बोली
और रुको, वह बोली
और मुस्काओ, वह बोली
और खपो, वह बोली ।

मैं आया
मैं रुका
मै मुस्काया
मैं खपा ।


अंग्रेज़ी से अनुवाद : सोमदत्त