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"दिल में तो बहुत कुछ है ज़बाँ तक नहीं आता / राम रियाज़" के अवतरणों में अंतर
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दिल में तो बहुत कुछ है ज़बाँ तक नहीं आता | दिल में तो बहुत कुछ है ज़बाँ तक नहीं आता |
08:30, 29 मार्च 2014 के समय का अवतरण
दिल में तो बहुत कुछ है ज़बाँ तक नहीं आता
मैं जितना चलूँ फिर भी यहाँ तक नहीं आता
लोगों से डरे हो तो मिरे साथ चले आओ
इस रास्ते में कोई मकाँ तक नहीं आता
इस ज़िद पे तिरा ज़ुल्म गवारा किया हम ने
देखें कि तुझे रहम कहाँ तक नहीं आता
एक एक सितारा मिरी आवाज़ पे बोला
मैं इतनी बुलंदी से वहाँ तक नहीं आता
आँसू जो बहें सुर्ख़ तो हो जाती हैं आँखें
दिल ऐसा सुलगता है धुआँ तक नहीं आता