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− | + | भन्नाती हुई सुनाती सजा फाँसी की | |
− | + | जो अपील के बाद तब्दील हो जाती | |
+ | कान उमेठ कर चैके से बाहर कर देने में. | ||
− | + | आम, गोभी, नींबू, गाजर, मिर्च, अदरक और आँवला | |
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− | + | सख्त कायदे-कानून हैं इनके डालने और | |
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− | + | गंदे-संदे, झूठे-सकरे हाथों | |
− | + | और बहू-बेटियों को उन चार दिनों | |
+ | बरनी न छूने देने से ही | ||
+ | बचा रहता है अम्माँ का | ||
+ | यह अनोखा स्वाद-संसार! | ||
− | + | सरल-सहज चीजों का जटिलतम मिश्रण | |
− | + | सब्जी-दाल से भरी थाली के कोने में | |
− | + | रसीली और चटपटी फांक की शक्ल में | |
− | + | परोस दी जाती है घर की विरासत! | |
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− | + | चैके में करीने से रखी | |
− | + | ये मौलिक, अप्रकाशित, अप्रसारित कृतियाँ | |
− | + | केवल जायके का बदलाव नहीं | |
− | + | भरोसा है मध्य वर्ग का | |
− | + | कि न हो सब्जी घर में भले ही | |
− | + | आ सकता है कोई भी आधी रात! | |
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16:27, 21 अप्रैल 2014 के समय का अवतरण
अचार की बरनी
जिसके ढक्कन पर कसा हुआ था कपड़ा
ललचाता मन कि
एक फाँक स्वाद भरी
रख लें मुँह में की कोशिश पर
पारा अम्माँ का सातवें आसमान पर
भन्नाती हुई सुनाती सजा फाँसी की
जो अपील के बाद तब्दील हो जाती
कान उमेठ कर चैके से बाहर कर देने में.
आम, गोभी, नींबू, गाजर, मिर्च, अदरक और आँवला
फलते हैं मानो बरनीस्थ होने को
राई, सरसों, तेल, नमक, मिर्च और हींग-सिरके
का वह अभ्यस्त अनुपात
बचाए रखता स्वाद बरनी की तली दिखने तक .
सख्त कायदे-कानून हैं इनके डालने और
महप़फूज़ रखने के
गंदे-संदे, झूठे-सकरे हाथों
और बहू-बेटियों को उन चार दिनों
बरनी न छूने देने से ही
बचा रहता है अम्माँ का
यह अनोखा स्वाद-संसार!
सरल-सहज चीजों का जटिलतम मिश्रण
सब्जी-दाल से भरी थाली के कोने में
रसीली और चटपटी फांक की शक्ल में
परोस दी जाती है घर की विरासत!
चैके में करीने से रखी
ये मौलिक, अप्रकाशित, अप्रसारित कृतियाँ
केवल जायके का बदलाव नहीं
भरोसा है मध्य वर्ग का
कि न हो सब्जी घर में भले ही
आ सकता है कोई भी आधी रात!