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"भरोसैमंद आखर / नन्द भारद्वाज" के अवतरणों में अंतर
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<Poem>म्हैं अहसानमंद हूं | <Poem>म्हैं अहसानमंद हूं |
20:43, 29 जनवरी 2015 के समय का अवतरण
म्हैं अहसानमंद हूं
मिनखपणै रा वां मोभी पूतां रौ
जिकां री खांतीली मेधा
अर अणथक जतन
अमानवी यातनावां सूं गुजरतां थकां
भेळा कर पाया कीं
कीं भरोसैमंद आखर
जिका
आपांरी भटक्योड़ी उम्मीदां साथै
जुड़तां ई
खोल सकै कोई नवौ मारग
अेक जीवंत लखाव
परतख अर असरदार
किणी धारदार औजार दांई
वै चीर सकै अंधारै रौ काळजौ
मुगती दिराय सकै
पयांळ में कैद उण उजास नै
जिकौ देय सकै आंख्यां नै नवी दीठ
ओप बुझता उणियारां नै
अेक अछेह आतमविस्वास -
के जिणरै पांण
उण ‘दयानिधान’ री
नींयत पिछांणी जा सकै -
के वांरी अखूट पूंजी है
आपरी आफळ अर अणभव नै
अंगेजता अै भरोसैमंद आखर !
सितंबर, 1973