भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"रात में पेड़ / ज्यून तकामी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (New page: {{KKGlobal}} {{KKAnooditRachna |रचनाकार=ज्यून तकामी |संग्रह=पहाड़ पर चढ़ना चाहते हैं सब / ज्...) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
|संग्रह=पहाड़ पर चढ़ना चाहते हैं सब / ज्यून तकामी | |संग्रह=पहाड़ पर चढ़ना चाहते हैं सब / ज्यून तकामी | ||
}} | }} | ||
+ | {{KKCatKavita}} | ||
[[Category:जापानी भाषा]] | [[Category:जापानी भाषा]] | ||
− | + | <poem> | |
− | रोज़ देर रात | + | रोज़ देर रात |
− | + | ||
पेड़ कहीं जाने की तैयारियाँ करते हैं | पेड़ कहीं जाने की तैयारियाँ करते हैं | ||
− | |||
रहस्यमय ढंग से | रहस्यमय ढंग से | ||
− | |||
कहीं रवाना होना चाहते हैं वे | कहीं रवाना होना चाहते हैं वे | ||
− | |||
कहाँ जाना चाहते हैं वे हर रात | कहाँ जाना चाहते हैं वे हर रात | ||
− | |||
ज़मीन में अपनी जड़ों को मज़बूती से जमाते हुए | ज़मीन में अपनी जड़ों को मज़बूती से जमाते हुए | ||
− | |||
उन्हें कहाँ जाना चाहिए | उन्हें कहाँ जाना चाहिए | ||
− | |||
वे नहीं जानते और जानना भी नहीं चाहते | वे नहीं जानते और जानना भी नहीं चाहते | ||
− | |||
वे बस चले जाना चाहते हैं वहाँ से | वे बस चले जाना चाहते हैं वहाँ से | ||
− | |||
जहाँ पर वे हैं | जहाँ पर वे हैं | ||
− | |||
सारा जीवन, बस, यही सपना वे देखते रहे | सारा जीवन, बस, यही सपना वे देखते रहे | ||
− | |||
आज रात फिर | आज रात फिर | ||
− | |||
वे तैयारी कर रहे हैं कहीं जाने की | वे तैयारी कर रहे हैं कहीं जाने की | ||
− | |||
काँपते हाथ-पैरों के साथ | काँपते हाथ-पैरों के साथ | ||
− | |||
चुपचाप, रहस्यमय ढंग से | चुपचाप, रहस्यमय ढंग से | ||
− | |||
भाग जाना चाहते हैं वे | भाग जाना चाहते हैं वे | ||
+ | |||
+ | '''रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय''' | ||
+ | </poem> |
02:04, 8 जनवरी 2012 के समय का अवतरण
|
रोज़ देर रात
पेड़ कहीं जाने की तैयारियाँ करते हैं
रहस्यमय ढंग से
कहीं रवाना होना चाहते हैं वे
कहाँ जाना चाहते हैं वे हर रात
ज़मीन में अपनी जड़ों को मज़बूती से जमाते हुए
उन्हें कहाँ जाना चाहिए
वे नहीं जानते और जानना भी नहीं चाहते
वे बस चले जाना चाहते हैं वहाँ से
जहाँ पर वे हैं
सारा जीवन, बस, यही सपना वे देखते रहे
आज रात फिर
वे तैयारी कर रहे हैं कहीं जाने की
काँपते हाथ-पैरों के साथ
चुपचाप, रहस्यमय ढंग से
भाग जाना चाहते हैं वे
रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय