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"सहस्रशीर्ष पुरुष / त्रिलोचन" के अवतरणों में अंतर
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तभी सहस्रशीर्षापुरुष: याद आ गया, | तभी सहस्रशीर्षापुरुष: याद आ गया, | ||
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उन आँखों को देखा सहस्राक्ष: गाया । | उन आँखों को देखा सहस्राक्ष: गाया । | ||
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वह विराट दर्शन । मैंने विश्वास पा लिया, | वह विराट दर्शन । मैंने विश्वास पा लिया, | ||
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वह विश्वास जो विजय के नवगान गा गया । | वह विश्वास जो विजय के नवगान गा गया । | ||
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गान के स्वरों से मैंने आकाश छा लिया, | गान के स्वरों से मैंने आकाश छा लिया, | ||
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जहाँ जहाँ जीवन को देखा वहाँ जा लिया, | जहाँ जहाँ जीवन को देखा वहाँ जा लिया, | ||
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मेरे स्वर जीवन की परिक्रमा करते हैं । | मेरे स्वर जीवन की परिक्रमा करते हैं । | ||
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गाता जाऊंगा, गाता हूँ, अल्प गा लिया, | गाता जाऊंगा, गाता हूँ, अल्प गा लिया, | ||
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भूल चूक छोड़ो भी, गीत क्षमा करते हैं । | भूल चूक छोड़ो भी, गीत क्षमा करते हैं । | ||
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महाकुम्भ में देखा मैंने मानव कानन, | महाकुम्भ में देखा मैंने मानव कानन, | ||
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मानचित्र था भारत का रेखांकित आनन । | मानचित्र था भारत का रेखांकित आनन । | ||
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19:33, 20 जुलाई 2010 के समय का अवतरण
जनता का समुद्र वह, देखा शीश झुकाया,
तभी सहस्रशीर्षापुरुष: याद आ गया,
उन आँखों को देखा सहस्राक्ष: गाया ।
चरणों को देखा तो सहस्रपात छा गया
प्रतिबिम्बित होकर मानस में । मुझे भा गया
वह विराट दर्शन । मैंने विश्वास पा लिया,
वह विश्वास जो विजय के नवगान गा गया ।
गान के स्वरों से मैंने आकाश छा लिया,
जहाँ जहाँ जीवन को देखा वहाँ जा लिया,
मेरे स्वर जीवन की परिक्रमा करते हैं ।
गाता जाऊंगा, गाता हूँ, अल्प गा लिया,
भूल चूक छोड़ो भी, गीत क्षमा करते हैं ।
महाकुम्भ में देखा मैंने मानव कानन,
मानचित्र था भारत का रेखांकित आनन ।