"छुट्टी का आवेदन / प्रभुदयाल श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर
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− | मां की तबियत बहुत खराब | + | मां की तबियत बहुत खराब, |
बापू को हो रहे जुलाब| | बापू को हो रहे जुलाब| | ||
− | इस कारण से | + | इस कारण से हे शिक्षकजी, |
− | मैं शाला ना | + | मैं शाला ना आ पाऊंगी| |
− | मुझे पड़ेगा आज बनाना | + | मुझे पड़ेगा आज बनाना, |
− | अम्मा बापू,सबका खाना| | + | अम्मा बापू, सबका खाना| |
− | सुबह सुबह ही चाय बनाई | + | सुबह सुबह ही चाय बनाई, |
घर के लोगों को पिलवाई| | घर के लोगों को पिलवाई| | ||
जरा देर में वैद्यराज के, | जरा देर में वैद्यराज के, | ||
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मैं शाला न आ पाऊंगी| | मैं शाला न आ पाऊंगी| | ||
− | दादा की सुध लेना होगी | + | दादा की सुध लेना होगी, |
उन्हें दवाई देना होगी| | उन्हें दवाई देना होगी| | ||
− | दादीजी भी हैं लाचार | + | दादीजी भी हैं लाचार, |
उन्हें बहुत करती मैं प्यार| | उन्हें बहुत करती मैं प्यार| | ||
अभी नहानी में ले जाकर, | अभी नहानी में ले जाकर, | ||
− | उन्हें ठीक से नहलाऊंगी | + | उन्हें ठीक से नहलाऊंगी| |
इस कारण से हे शिक्षकजी, | इस कारण से हे शिक्षकजी, | ||
मैं शाला न आ पाऊंगी| | मैं शाला न आ पाऊंगी| | ||
− | छोटा भाई बड़ा शैतान | + | छोटा भाई बड़ा शैतान, |
दिन भर करता खींचातान| | दिन भर करता खींचातान| | ||
− | कापी फेक किताबें फाड़ | + | कापी फेक किताबें फाड़, |
रोज बनाता तिल का ताड़| | रोज बनाता तिल का ताड़| | ||
बड़े प्रेम से धीरे धीरे, | बड़े प्रेम से धीरे धीरे, | ||
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मैं शाला न आ पाऊंगी| | मैं शाला न आ पाऊंगी| | ||
− | मुझे आज की छुट्टी देना | + | मुझे आज की छुट्टी देना, |
शिक्षकजी गुस्सा मत होना| | शिक्षकजी गुस्सा मत होना| | ||
− | गृह का कार्य शीघ्र कर लूंगी | + | गृह का कार्य शीघ्र कर लूंगी, |
पाठ आज का कल पढ़ लूंगी| | पाठ आज का कल पढ़ लूंगी| | ||
− | गृहस्थी का सब काम पड़ा है , | + | गृहस्थी का सब काम पड़ा है, |
आज नहीं पढ़ लिख पाऊंगी| | आज नहीं पढ़ लिख पाऊंगी| | ||
इस कारण से हे शिक्षकजी, | इस कारण से हे शिक्षकजी, | ||
मैं शाला न आ पाऊंगी| | मैं शाला न आ पाऊंगी| | ||
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10:37, 30 जून 2014 के समय का अवतरण
मां की तबियत बहुत खराब,
बापू को हो रहे जुलाब|
इस कारण से हे शिक्षकजी,
मैं शाला ना आ पाऊंगी|
मुझे पड़ेगा आज बनाना,
अम्मा बापू, सबका खाना|
सुबह सुबह ही चाय बनाई,
घर के लोगों को पिलवाई|
जरा देर में वैद्यराज के,
घर बापू को ले जाऊंगी|
इस कारण से हे शिक्षकजी,
मैं शाला न आ पाऊंगी|
दादा की सुध लेना होगी,
उन्हें दवाई देना होगी|
दादीजी भी हैं लाचार,
उन्हें बहुत करती मैं प्यार|
अभी नहानी में ले जाकर,
उन्हें ठीक से नहलाऊंगी|
इस कारण से हे शिक्षकजी,
मैं शाला न आ पाऊंगी|
छोटा भाई बड़ा शैतान,
दिन भर करता खींचातान|
कापी फेक किताबें फाड़,
रोज बनाता तिल का ताड़|
बड़े प्रेम से धीरे धीरे,
आज उसे मैं समझाऊंगी|
इस कारण से हे शिक्षकजी,
मैं शाला न आ पाऊंगी|
मुझे आज की छुट्टी देना,
शिक्षकजी गुस्सा मत होना|
गृह का कार्य शीघ्र कर लूंगी,
पाठ आज का कल पढ़ लूंगी|
गृहस्थी का सब काम पड़ा है,
आज नहीं पढ़ लिख पाऊंगी|
इस कारण से हे शिक्षकजी,
मैं शाला न आ पाऊंगी|