"आपां परजीवी हां / ओम पुरोहित कागद" के अवतरणों में अंतर
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− | + | म्हे हां तो थां सरीखा | |
− | + | थारै जेड़ो डील-डोळ है | |
− | + | राम जी री दियोड़ी काया | |
− | + | अर उण रो दियाड़ो | |
− | + | थां जेडा़े जी है | |
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पण | पण | ||
− | + | म्हे थां स्यूं दो पांवडा आगै हां | |
− | + | थे टांगाां अर दांत | |
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− | + | अर म्हे | |
− | + | आंख अर कान मीच‘र। | |
− | + | इणी खातर | |
− | + | थे लारली पंगती मांय रे‘वो | |
− | + | क्यूं कै | |
− | + | थारी भींच्योड़ी टांगा | |
− | + | डग नी भरैे | |
− | अर | + | भींच्योड़ा दांत |
− | + | बात री ढभ नी करै | |
− | + | अर ओई साचल कारण है | |
− | + | कै थारी जिनगी री डोर मंाय | |
− | + | गांठ पड़गी | |
+ | जकी समै रै डमरू ऊपर पड़ै | ||
+ | खड़का करै | ||
+ | पण | ||
+ | ले की नीं पड़ै! | ||
+ | दूजी तरफ म्हे | ||
+ | चौड़ा होयोड़ा बगां | ||
+ | धरती म्हारै धुड्कै स्यूं हालै | ||
+ | अर सड़कां | ||
+ | जिनै म्हे कै‘वां | ||
+ | बिना चालै | ||
+ | भलांर्‘इं म्हारी आंख बंद है | ||
+ | म्हे सो क्यूं देखा | ||
+ | भलांर्‘इं म्हारी कान बंद है | ||
+ | म्हे सो क्यूं सुणा | ||
+ | फरक फगत इŸाा है कै | ||
+ | जिŸाो म्हे सुणा बितो सुणा | ||
+ | जिŸाो नीं सुणा बिŸाो नीं सुणा | ||
+ | क्यूं कै म्हारा हाथ सालम है | ||
+ | म्हारा पग सालम है | ||
+ | पण | ||
+ | म्हारा इरादा जालम है | ||
+ | क्यूं कै म्है पै‘र राखी है | ||
+ | ओहदां री खाल | ||
+ | जकी | ||
+ | बे-ओहदां, बेहुदां री | ||
+ | खाल काढै। | ||
+ | जै कोई सालम आदमी | ||
+ | म्हारो ओहदै आळौ | ||
+ | जालम चेहरो देखै | ||
+ | बो म्हानै | ||
+ | म्हारै घर अर दफ्तर मायं | ||
+ | नीं पिछाणै | ||
+ | इणी खातर | ||
+ | म्हे घरा मांय कम | ||
+ | रेस्तरा मांय ज्यादा लांधा । | ||
+ | म्हारै अठै | ||
+ | काम | ||
+ | धाम | ||
+ | सब जाम है | ||
+ | लेवण नै अर करण जे कीं है | ||
+ | तो बो पइसो है | ||
+ | बो‘ई म्हारो नाम है | ||
+ | बो‘ई म्हारो काम है | ||
+ | बो‘ई म्हारो दाम है | ||
+ | बो‘ई म्हारो राम है | ||
+ | इणी खातर | ||
+ | थारै अर म्हारै मांय | ||
+ | बुनियादी अंतर है | ||
+ | थारौ कै‘वणो है | ||
+ | कै राम नाम सत है | ||
+ | अर इण पर म्हारो कै‘वणो है | ||
+ | कै इणी खातर | ||
+ | थांरी आ गत है | ||
+ | क्यूं कै आ‘ई बुरी लत है। | ||
+ | साव साच ओ‘ई है | ||
+ | कै जे | ||
+ | लत | ||
+ | गत | ||
+ | सत | ||
+ | पत | ||
+ | थां रो रिपियो है | ||
+ | तो थां रै अठै | ||
+ | सत अर पत पाणी भरसी | ||
+ | नीं तो भायला, लोग | ||
+ | थां जेड़ा डफोळां री | ||
+ | भूखां मरतां नै | ||
+ | कहाणी-कौथ कैसी। | ||
इण खातर | इण खातर | ||
− | + | टैम री टणकार सुण‘र | |
− | + | हथियार ना‘ख दे | |
− | + | नाड़ ना‘ख दे | |
− | + | टांगां अर राफां | |
− | + | ढीली नाख दे | |
− | + | चालै जद | |
− | + | आंधो अर बोळो होय‘र चाल | |
− | + | तनै सो क्यूं दीख सी | |
− | करड़ावण | + | सो क्यूं सुणीज सी |
− | + | थांरी नाख्योड़ी नाड़ मांय | |
− | अर | + | आपी करड़ावण आ ज्यासी |
− | + | थारा पग चालसी | |
− | + | जाणै आग मांय मैण चालै | |
− | + | अर थारा खाली हाथ मांय | |
− | कोई | + | खंाड़ै री सी धार आ ज्यासी |
− | + | पछै थारै सामै | |
− | + | थानै दीख सी | |
− | + | झुक्योड़ी गरदनां | |
+ | जक्यां नै भलां‘ईं थे | ||
+ | कलम करया | ||
+ | भलां‘ईं धार्या। | ||
+ | जे थानै थारो | ||
+ | विगत डरावै | ||
+ | अर थारो | ||
+ | अंतस करावै कानून | ||
+ | कायदा | ||
+ | आंख काढै | ||
+ | तो सारा स्यूं पै‘ली | ||
+ | आपरी आंख मींचल्यो | ||
+ | अर फेर बांध भारियो | ||
+ | विगत रो | ||
+ | गांठड़ी कानून-कायदां री | ||
+ | देख‘र कोई आंधो सो कूओ | ||
+ | बै धड़कै | ||
+ | बै खड़कै | ||
+ | नां‘ख द्यो भारियो अर गंाठड़ी | ||
+ | अर फेर भूलज्याओ | ||
+ | कै कदै‘ई थारी विगत ही | ||
+ | अर थे कानून जीवी हा | ||
+ | याद खाली इत्तोई राखणो है | ||
+ | कै थे परजीवी हो | ||
+ | म्हें परजीवी हां!! | ||
+ | आपां परजीवी हां!!! | ||
+ | अर | ||
+ | सां क्यूं आपणै खातर है | ||
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13:01, 1 जुलाई 2014 के समय का अवतरण
म्हे हां तो थां सरीखा
थारै जेड़ो डील-डोळ है
राम जी री दियोड़ी काया
अर उण रो दियाड़ो
थां जेडा़े जी है
पण
म्हे थां स्यूं दो पांवडा आगै हां
थे टांगाां अर दांत
भीचं‘र चालो
अर म्हे
आंख अर कान मीच‘र।
इणी खातर
थे लारली पंगती मांय रे‘वो
क्यूं कै
थारी भींच्योड़ी टांगा
डग नी भरैे
भींच्योड़ा दांत
बात री ढभ नी करै
अर ओई साचल कारण है
कै थारी जिनगी री डोर मंाय
गांठ पड़गी
जकी समै रै डमरू ऊपर पड़ै
खड़का करै
पण
ले की नीं पड़ै!
दूजी तरफ म्हे
चौड़ा होयोड़ा बगां
धरती म्हारै धुड्कै स्यूं हालै
अर सड़कां
जिनै म्हे कै‘वां
बिना चालै
भलांर्‘इं म्हारी आंख बंद है
म्हे सो क्यूं देखा
भलांर्‘इं म्हारी कान बंद है
म्हे सो क्यूं सुणा
फरक फगत इŸाा है कै
जिŸाो म्हे सुणा बितो सुणा
जिŸाो नीं सुणा बिŸाो नीं सुणा
क्यूं कै म्हारा हाथ सालम है
म्हारा पग सालम है
पण
म्हारा इरादा जालम है
क्यूं कै म्है पै‘र राखी है
ओहदां री खाल
जकी
बे-ओहदां, बेहुदां री
खाल काढै।
जै कोई सालम आदमी
म्हारो ओहदै आळौ
जालम चेहरो देखै
बो म्हानै
म्हारै घर अर दफ्तर मायं
नीं पिछाणै
इणी खातर
म्हे घरा मांय कम
रेस्तरा मांय ज्यादा लांधा ।
म्हारै अठै
काम
धाम
सब जाम है
लेवण नै अर करण जे कीं है
तो बो पइसो है
बो‘ई म्हारो नाम है
बो‘ई म्हारो काम है
बो‘ई म्हारो दाम है
बो‘ई म्हारो राम है
इणी खातर
थारै अर म्हारै मांय
बुनियादी अंतर है
थारौ कै‘वणो है
कै राम नाम सत है
अर इण पर म्हारो कै‘वणो है
कै इणी खातर
थांरी आ गत है
क्यूं कै आ‘ई बुरी लत है।
साव साच ओ‘ई है
कै जे
लत
गत
सत
पत
थां रो रिपियो है
तो थां रै अठै
सत अर पत पाणी भरसी
नीं तो भायला, लोग
थां जेड़ा डफोळां री
भूखां मरतां नै
कहाणी-कौथ कैसी।
इण खातर
टैम री टणकार सुण‘र
हथियार ना‘ख दे
नाड़ ना‘ख दे
टांगां अर राफां
ढीली नाख दे
चालै जद
आंधो अर बोळो होय‘र चाल
तनै सो क्यूं दीख सी
सो क्यूं सुणीज सी
थांरी नाख्योड़ी नाड़ मांय
आपी करड़ावण आ ज्यासी
थारा पग चालसी
जाणै आग मांय मैण चालै
अर थारा खाली हाथ मांय
खंाड़ै री सी धार आ ज्यासी
पछै थारै सामै
थानै दीख सी
झुक्योड़ी गरदनां
जक्यां नै भलां‘ईं थे
कलम करया
भलां‘ईं धार्या।
जे थानै थारो
विगत डरावै
अर थारो
अंतस करावै कानून
कायदा
आंख काढै
तो सारा स्यूं पै‘ली
आपरी आंख मींचल्यो
अर फेर बांध भारियो
विगत रो
गांठड़ी कानून-कायदां री
देख‘र कोई आंधो सो कूओ
बै धड़कै
बै खड़कै
नां‘ख द्यो भारियो अर गंाठड़ी
अर फेर भूलज्याओ
कै कदै‘ई थारी विगत ही
अर थे कानून जीवी हा
याद खाली इत्तोई राखणो है
कै थे परजीवी हो
म्हें परजीवी हां!!
आपां परजीवी हां!!!
अर
सां क्यूं आपणै खातर है