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07:02, 4 जुलाई 2014 के समय का अवतरण
म्हैं रोयो कै तूं
पण कोई रोयो जरूर है
सबद रै आंगणै
कीं न कीं होयो जरूर है
कविता है 'का कहाणी
'किसान' बीज बोयो जरूर है।
(साथी कवि रामस्वरूप 'किसान' नैं समरपित)