भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"नब्बै / प्रमोद कुमार शर्मा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
 
|संग्रह=कारो / प्रमोद कुमार शर्मा
 
|संग्रह=कारो / प्रमोद कुमार शर्मा
 
}}
 
}}
{{KKCatGhazal}}
+
{{KKCatKavita}}
 
{{KKCatRajasthaniRachna}}
 
{{KKCatRajasthaniRachna}}
 
<poem>
 
<poem>

07:11, 4 जुलाई 2014 के समय का अवतरण

पणिहारी चाली पिणघट
-लेय'र खाली घड़ो
बडो-सो धरगै ईडाणी ऊपर
सज-धज'र इण ढाळ सखी
कै थम'र ऊभो हूग्यो काळ सखी

लटालूम बा पीपळ री जड़
बा कामण री गरबीली कड़
कोयल, मोर अर तोतां रो नाद है
गांव बीं रै होवणै सूं आबाद है

अैड़ी मायड़ भाखा म्हारी
तीन लोक सूं न्यारी
पछै क्यूं जाय'र
-कूवै मांय पड़ो
लेय'र खाली घड़ो।