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"एक रजैया बीवी-बच्चे / रामकुमार कृषक" के अवतरणों में अंतर
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एक रजैया बीवी-बच्चे | एक रजैया बीवी-बच्चे | ||
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एक रजैया मैं | एक रजैया मैं | ||
− | + | खटते हुए ज़िन्दगी बोली — | |
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हो गया हुलिया टैं | हो गया हुलिया टैं | ||
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जब से आया शहर | जब से आया शहर | ||
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गाँव को बड़े-बड़े अफ़सोस | गाँव को बड़े-बड़े अफ़सोस | ||
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माँ-बहनें-परिवार घेर-घर लगते सौ-सौ कोस | माँ-बहनें-परिवार घेर-घर लगते सौ-सौ कोस | ||
− | + | सड़कों पर चढ़ / पगडण्डी की | |
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बोल न पाया जै | बोल न पाया जै | ||
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बनकर बाबू बुझे | बनकर बाबू बुझे | ||
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न जाने कहाँ गई वो आग | न जाने कहाँ गई वो आग | ||
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कूद-कबड्डी गिल्ली-बल्ला कजली-होली-फाग | कूद-कबड्डी गिल्ली-बल्ला कजली-होली-फाग | ||
− | + | आल्हा-ऊदल भूले / भूली | |
− | आल्हा-ऊदल भूले/ भूली | + | |
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रामायन बरवै | रामायन बरवै | ||
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पढ़ना-लिखना निखद | पढ़ना-लिखना निखद | ||
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निखद या पढ़े-लिखों का सोच | निखद या पढ़े-लिखों का सोच | ||
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गाँव शहर आकर हो जाता कितना-कितना पोच | गाँव शहर आकर हो जाता कितना-कितना पोच | ||
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राई के परबत-से लगते | राई के परबत-से लगते | ||
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छोटे-छोटे भै ! | छोटे-छोटे भै ! | ||
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(रचनाकाल : 01.11.1978) | (रचनाकाल : 01.11.1978) | ||
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22:29, 10 फ़रवरी 2023 के समय का अवतरण
एक रजैया बीवी-बच्चे
एक रजैया मैं
खटते हुए ज़िन्दगी बोली —
हो गया हुलिया टैं
जब से आया शहर
गाँव को बड़े-बड़े अफ़सोस
माँ-बहनें-परिवार घेर-घर लगते सौ-सौ कोस
सड़कों पर चढ़ / पगडण्डी की
बोल न पाया जै
बनकर बाबू बुझे
न जाने कहाँ गई वो आग
कूद-कबड्डी गिल्ली-बल्ला कजली-होली-फाग
आल्हा-ऊदल भूले / भूली
रामायन बरवै
पढ़ना-लिखना निखद
निखद या पढ़े-लिखों का सोच
गाँव शहर आकर हो जाता कितना-कितना पोच
राई के परबत-से लगते
छोटे-छोटे भै !
(रचनाकाल : 01.11.1978)