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|रचनाकार=रमेश रंजक
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|संग्रह=रमेश रंजक के बाल गीत / रमेश रंजक
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<poem>
माँ ! हम तो मज़दूर बनेंगे ।
अपने हाथों की मेहनत से
अपने-अपने पेट भरेंगे ।।
जॊ जीता मेहनत के बल पर
उसकी इज़्ज़त होती घर-घर
माँ ! तेरी सौगन्ध हमें, हम
मेहनतकश होकर उभरेंगे ।
 
माँ ! हन तो मज़दूर बनेंगे ।।
 
इस युग में मेहनत का परचम
उत्तर-दक्खिन, पूरब-पच्छिम
लहराएगा निर्भय होकर
ऐसे-ऐसे काम करेंगे ।
 
माँ ! हम तो मज़दूर बनेंगे ।।
 
जिनको मेहनत से नफ़रत है
उन पर लानत है, लानत है
हम इस युग के बने नमूने
इतनी तेज़ रोशनी देंगे ।
 
माँ ! हम तो मज़दूर बनेंगे ।।
</poem>
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