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"उषा-स्तवन-5 / मदन वात्स्यायन" के अवतरणों में अंतर
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अरे रे, किरणों की कोसी ने अपने कगारे ढहा दिए हैं, | अरे रे, किरणों की कोसी ने अपने कगारे ढहा दिए हैं, | ||
दूर तक सर्वत्र वेग से टूटता पानी उमड़ता-घुमड़ता चारों | दूर तक सर्वत्र वेग से टूटता पानी उमड़ता-घुमड़ता चारों | ||
− | + | ओर फैल रहा है । | |
अन्त तक स्थिर बलता वह एक अकेला शुक्रतारा दीप | अन्त तक स्थिर बलता वह एक अकेला शुक्रतारा दीप | ||
दो अंगुल, चार अंगुल, दस अंगुल, रोशनी में धीरे-धीरे | दो अंगुल, चार अंगुल, दस अंगुल, रोशनी में धीरे-धीरे | ||
− | + | डूब जाता है । | |
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11:50, 30 सितम्बर 2014 के समय का अवतरण
अरे रे, किरणों की कोसी ने अपने कगारे ढहा दिए हैं,
दूर तक सर्वत्र वेग से टूटता पानी उमड़ता-घुमड़ता चारों
ओर फैल रहा है ।
अन्त तक स्थिर बलता वह एक अकेला शुक्रतारा दीप
दो अंगुल, चार अंगुल, दस अंगुल, रोशनी में धीरे-धीरे
डूब जाता है ।