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09:43, 28 फ़रवरी 2008 के समय का अवतरण
दूब सिहरी
और गिर ही गया मोती
- स्वप्न जैसा ।
इस हवा को सह न पाया,
दूब की सिहरन लिए मैं
- लौट आया ।