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"म्हारौ गांव / संजय आचार्य वरुण" के अवतरणों में अंतर

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अर मन भावणौ लागै
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माँ रो आंगण बुहारणौ
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अर भाभीसा रौ
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तुळसी सींचते सींचते
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मधरै मधरै सुर में
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भजन गावणौ।
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घणौ आछौ लागै
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सानी खावतां
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बळधां रै गळै री
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नान्ही नान्ही घंट्यां रौ बाजणौ
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अर दुहारी खातर त्यार
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कितरी मीठी लागै
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भोर रै चितराम ने देखौ
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देखौ अर जीवौ।
 
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23:11, 25 फ़रवरी 2015 के समय का अवतरण

कितरो सोवणौ
अर मन भावणौ लागै
भोरान भोर
माँ रो आंगण बुहारणौ
अर भाभीसा रौ
तुळसी सींचते सींचते
मधरै मधरै सुर में
भजन गावणौ।
घणौ आछौ लागै
सानी खावतां
बळधां रै गळै री
नान्ही नान्ही घंट्यां रौ बाजणौ
अर दुहारी खातर त्यार
गयां रौ रंभावणौ
कितरी मीठी लागै
बकर्यां अर मेमनां री
मिमियाती बोली
अर पिणघट माथै
हथाई करती
छोर्यां री हंसी
अर बां रै
मूण्डै सू रचीजती
जीवन री अनलिखी काण्यां
गाव री इण भोर ने
भोर रै चितराम ने देखौ
देखौ अर जीवौ।