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13:05, 28 फ़रवरी 2015 के समय का अवतरण
दीखण मांय तो थिर दीखै
आपरी जागा साइजम
टस सूं मस नीं हुवता पा‘ड़
लैणबन्धा पा‘ड़
पण दैखै गौर सूं
तो साव लागै
भागती बैवती 
गूंजती नदी रै सागै 
आसै पासै रा पा‘ड़
हर पल हर छिन भागै 
पा‘ड़ जड़ नीं है
चैतण है पा‘ड़
तावड़ै मांय न्हाय 
जागै है पा‘ड़
मैह नै हर्यै मांय 
लौरावै पा‘ड़
धौळी बुराक बरफ री 
चादर औढ़
खुंखावै पा‘ड़
पा‘ड़ जड़ नीं है
चैतण है पाड़
ऊंचौ माथै 
तणियौ सीनो 
गरबीलै हाव भाव सूं 
फूंकता रै
जीवण रो अरथ पा‘ड़
फैरूं कींकर हुया थिर पा‘ड़
फैरूं कींकर हुया जड़ पा‘ड़
पा‘ड़ भी तो जात्री है
अर जात्रा‘ई जीवण 
जद‘ई तो आपरी जागा
ऊभा ऊभा‘ई
उतर आया म्हारी आंख्यां
अर आंख्यां सूं रूं रूं 
अर म्हैं हुयग्यो हो 
हरी भरी हरियाली अर रूं रूं सूं 
लद्यौ पद्यौ पा‘ड़
अर बेवण लाग्यो
अनोखे सुर रो झरणो 
मांय रो मांय 
पा‘ड़ जड़ नीं है
चैतण है पा‘ड़
	
	