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अब जैसे बेहोशी की दवा के असर में होता है | अब जैसे बेहोशी की दवा के असर में होता है | ||
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दरवाज़ों का बंद होना और खिड़कियों का खुलना | दरवाज़ों का बंद होना और खिड़कियों का खुलना | ||
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कोई दर्द नहीं | कोई दर्द नहीं | ||
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− | + | '''अँग्रेज़ी से अनुवाद : शिरीष कुमार मौर्य''' | |
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00:12, 12 फ़रवरी 2013 के समय का अवतरण
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छवि
हम कल्पना नहीं कर सकते
कि कैसे हम जिएँगे एक दूसरे के बिना
ऐसा हमने कहा
और तब से हम रहते हैं इसी एक छवि के भीतर
दिन-ब-दिन
एक दूसरे से दूर, उस मकान से दूर
जहाँ हमने वो शब्द कहे
अब जैसे बेहोशी की दवा के असर में होता है
दरवाज़ों का बंद होना और खिड़कियों का खुलना
कोई दर्द नहीं
वह तो आता है बाद में......
अँग्रेज़ी से अनुवाद : शिरीष कुमार मौर्य