भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"प्रेम की स्मृतियाँ-2 / येहूदा आमिखाई" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (New page: {{KKGlobal}} {{KKAnooditRachna |रचनाकार=येहूदा आमिखाई |संग्रह=आँखों की उदासी और एक सफ़र / ये...) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 3 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
{{KKAnooditRachna | {{KKAnooditRachna | ||
|रचनाकार=येहूदा आमिखाई | |रचनाकार=येहूदा आमिखाई | ||
− | |संग्रह= | + | |संग्रह=धरती जानती है / यहूदी आमिखाई |
}} | }} | ||
[[Category:यहूदी भाषा]] | [[Category:यहूदी भाषा]] | ||
− | |||
− | |||
− | |||
'''शर्तें और स्थितियाँ''' | '''शर्तें और स्थितियाँ''' | ||
− | + | <poem> | |
हम उन बच्चों की तरह थे जो समुद्र से बाहर आना नहीं चाहते | हम उन बच्चों की तरह थे जो समुद्र से बाहर आना नहीं चाहते | ||
− | + | इस तरह नीली रातें आईं | |
− | इस तरह नीली रातें | + | |
− | + | ||
और फिर काली | और फिर काली | ||
− | |||
हम क्या वापस ला पाए अपने बाक़ी के जीवन के लिए | हम क्या वापस ला पाए अपने बाक़ी के जीवन के लिए | ||
+ | एक लपट भरा चेहरा ? | ||
+ | जलती हुई झाड़ियों-सा, जो ख़त्म नहीं कर सकेगा ख़ुद को | ||
+ | अपने जीवन के आख़िर तक | ||
− | + | हमने अपने बीच एक अजीब-सा बंदोबस्त किया | |
− | + | यदि तुम मेरे पास आती हो तो मैं आऊँगा तुम्हारे पास | |
− | + | अजीब सी शर्तें और स्थितियाँ — | |
− | + | यदि तुम भूल जाती हो मुझे तो मैं तुम्हें भूल जाऊँगा | |
− | + | अजीब से करार और प्यारी-सी बातें | |
− | + | ||
− | + | ||
− | हमने अपने बीच एक अजीब सा बंदोबस्त किया | + | |
− | + | ||
− | यदि तुम मेरे पास आती हो तो मैं | + | |
− | + | ||
− | अजीब सी शर्तें और स्थितियाँ | + | |
− | + | ||
− | यदि तुम भूल जाती हो मुझे तो मैं तुम्हें भूल | + | |
− | + | ||
− | अजीब से करार और प्यारी सी बातें | + | |
− | + | ||
बुरी बातें तो हमे करनी थीं हमारे | बुरी बातें तो हमे करनी थीं हमारे | ||
+ | बाक़ी के जीवन में ! | ||
− | + | '''अँग्रेज़ी से अनुवाद : शिरीष कुमार मौर्य''' | |
+ | </poem> |
00:14, 12 फ़रवरी 2013 के समय का अवतरण
|
शर्तें और स्थितियाँ
हम उन बच्चों की तरह थे जो समुद्र से बाहर आना नहीं चाहते
इस तरह नीली रातें आईं
और फिर काली
हम क्या वापस ला पाए अपने बाक़ी के जीवन के लिए
एक लपट भरा चेहरा ?
जलती हुई झाड़ियों-सा, जो ख़त्म नहीं कर सकेगा ख़ुद को
अपने जीवन के आख़िर तक
हमने अपने बीच एक अजीब-सा बंदोबस्त किया
यदि तुम मेरे पास आती हो तो मैं आऊँगा तुम्हारे पास
अजीब सी शर्तें और स्थितियाँ —
यदि तुम भूल जाती हो मुझे तो मैं तुम्हें भूल जाऊँगा
अजीब से करार और प्यारी-सी बातें
बुरी बातें तो हमे करनी थीं हमारे
बाक़ी के जीवन में !
अँग्रेज़ी से अनुवाद : शिरीष कुमार मौर्य