भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"पिता की बरसी पर / येहूदा आमिखाई" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
||
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
{{KKAnooditRachna | {{KKAnooditRachna | ||
|रचनाकार=येहूदा आमिखाई | |रचनाकार=येहूदा आमिखाई | ||
− | |संग्रह=धरती जानती है / | + | |संग्रह=धरती जानती है / यहूदी आमिखाई |
}} | }} | ||
− | [[Category:यहूदी भाषा]] | + | [[Category:यहूदी भाषा]] |
− | + | {{KKCatKavita}} | |
− | + | {{KKAnthologyPita}} | |
− | + | ||
अपने पिता की बरसी पर मैं गया उनके साथियों को देखने | अपने पिता की बरसी पर मैं गया उनके साथियों को देखने | ||
पंक्ति 17: | पंक्ति 16: | ||
मुझे याद है उनमें से अधिकतर के नाम | मुझे याद है उनमें से अधिकतर के नाम | ||
− | जैसे कि किसी पिता याद रहते हैं | + | जैसे कि किसी पिता को याद रहते हैं |
स्कूल से घर लौटते अपने बच्चे के | स्कूल से घर लौटते अपने बच्चे के |
01:07, 19 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
|
अपने पिता की बरसी पर मैं गया उनके साथियों को देखने
जो दफ़नाये गए थे उन्हीं के साथ एक कतार में
यही थी उनके जीवन के स्नातक कक्षा
मुझे याद है उनमें से अधिकतर के नाम
जैसे कि किसी पिता को याद रहते हैं
स्कूल से घर लौटते अपने बच्चे के
दोस्तो के नाम
मेरे पिता अब भी मुझसे प्यार करते हैं और मैं तो हमेशा ही करता हूँ उनसे
इसीलिये मैं कभी रोता नहीं उनके लिए
लेकिन यहाँ इस जगह का मान रखने की खातिर ही सही
मैं ला चुका हूँ थोड़ी सी रुलाई अपनी आंखों में
एक नजदीकी कब्र देख कर - एक बच्चे की कब्र
जिस पर लिखा है--
" हमारा नन्हां योसी जब मरा चार साल का था।