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"माँ की याद / वीरेन डंगवाल" के अवतरणों में अंतर
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16:59, 11 अप्रैल 2012 के समय का अवतरण
क्या देह बनाती है माँओं को ?
क्या समय ? या प्रतीक्षा ? या वह खुरदरी राख
जिससे हम बीन निकालते हैं अस्थियाँ ?
या यह कि हम मनुष्य हैं और एक
सामाजिक-सांस्कृतिक परम्परा है हमारी
जिसमें माँएँ सबसे ऊपर खड़ी की जाती रही हैं
बर्फ़ीली चोटी पर,
और सबसे आगे
फ़ायरिंग स्क्वैड के सामने ।