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हमारे लिए मृत्यु का आभास है
 
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सागरदेवी,
 
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ओ भयंकर अफ़ीना<ref>यूनानी मिथक परम्परा में समाज-व्यवस्था की सुरक्षा देवी जो मृत्यु से योद्धाओं की रक्षा करती है और
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ओ भयंकर अफ़ीना<ref>यूनानी मिथक परम्परा में समाज-व्यवस्था की सुरक्षा देवी जो मृत्यु से योद्धाओं की रक्षा करती है और जिसका चित्र योद्धाओं के शिरस्त्रान पर उकेरा जाता था। इसे देवी मिनर्वा के नाम से भी जाना जाता है। पितेरबुर्ग में पब्लिक-लाइब्रेरी के भवन पर इसका चित्र बना है।</ref>!
जिसका चित्रा योद्धओं के शिरस्त्रान पर उकेरा जाता था। इसे देवी मिनर्वा के नाम से भी जाना जाता
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रानी यहाँ की तुम नहीं हो
 
रानी यहाँ की तुम नहीं हो
 
मुकुट उतारो तुम अपना
 
मुकुट उतारो तुम अपना

16:31, 14 अप्रैल 2015 के समय का अवतरण

पारदर्शी पित्रोपोल<ref>लेनिनग्राद, पितेरबुर्ग या पीटर्सबर्ग नगर का एक साहित्यिक नाम। पूश्किन से लेकर आज तक विभिन्न रूसी कवियों ने अपनी कविता में इसे पित्रोपोल कहा है।</ref> में
मर रहे हैं हम
हमारे ऊपर
मृत्युदेवी प्रोज़ेरपिना<ref>प्राचीन रोम में भूगर्भ स्थित साम्राज्य (मृत्युलोक) की देवी, जिसे यूनानी मिथक परम्परा में पेर्सेफ़ोना के नाम से जाना गया।</ref> का राज है
हर साँस के संग
पीते हैं हम मृत्युवायु
हर घण्टा
हमारे लिए मृत्यु का आभास है
सागरदेवी,
ओ भयंकर अफ़ीना<ref>यूनानी मिथक परम्परा में समाज-व्यवस्था की सुरक्षा देवी जो मृत्यु से योद्धाओं की रक्षा करती है और जिसका चित्र योद्धाओं के शिरस्त्रान पर उकेरा जाता था। इसे देवी मिनर्वा के नाम से भी जाना जाता है। पितेरबुर्ग में पब्लिक-लाइब्रेरी के भवन पर इसका चित्र बना है।</ref>!
रानी यहाँ की तुम नहीं हो
मुकुट उतारो तुम अपना
पित्रोपोल में मर रहे हम
यहाँ साम्राज्ञी है प्रोज़ेरपिना

1916

शब्दार्थ
<references/>