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"समय क्षण-भर थमा / अज्ञेय" के अवतरणों में अंतर
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22:59, 2 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
समय क्षण-भर थमा सा:
फिर तोल डैने
उड़ गया पंछी क्षितिज की ओर:
मद्धिम लालिमा ढरकी अलक्षित।
तिरोहित हो चली ही थी कि सहसा
फूट तारे ने कहा: रे समय,
तू क्या थक गया?
रात का संगीत फिर
तिरने लगा आकाश में।