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"समय क्षण-भर थमा / अज्ञेय" के अवतरणों में अंतर

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समय क्षण-भर थमा सा :
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समय क्षण-भर थमा सा:
फिर तौल डैने
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फिर तोल डैने
 
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उड़ गया पंछी क्षितिज की ओर:
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मद्धिम लालिमा ढरकी अलक्षित।
 
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मद्धिम लालिमा ढरकी अलक्षित ।
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तिरोहित हो चली ही थी कि सहसा
 
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फूट तारे ने कहा: रे समय,
फूट तारे ने कहा : रे समय,
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::तू क्या थक गया?
 
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::तू क्या थक गया ?
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रात का संगीत फिर
 
रात का संगीत फिर
 
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तिरने लगा आकाश में।
तिरने लगा आकाश में ।
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22:59, 2 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

समय क्षण-भर थमा सा:
फिर तोल डैने
उड़ गया पंछी क्षितिज की ओर:
मद्धिम लालिमा ढरकी अलक्षित।
तिरोहित हो चली ही थी कि सहसा
फूट तारे ने कहा: रे समय,
तू क्या थक गया?
रात का संगीत फिर
तिरने लगा आकाश में।