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"कार्तिक का पहला गुलाब. / इला कुमार" के अवतरणों में अंतर

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कार्तिक का पहला गुलाब
 
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सुर्ख पंखरियाँ सुबह की धूप में
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तमाम पृथ्वी को अपनी चमक से आंदोलित करती हुई
 
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तहों की बंद परत के बीच से सुगंध भाप की तरह ऊपर उठती है  
 
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वह मात्र सुगंध है गुलाब नहीं  
 
वह मात्र सुगंध है गुलाब नहीं  
 
 
वह रंग  
 
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वह पंखिरयों के वर्तुल रूपक में लिपटा
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कोमलता, सुकुवांर्ता, सौंदर्य प्रतीक
 
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दृष्टी दूर तक स्वयं के संग जाना चाहती है  
 
दृष्टी दूर तक स्वयं के संग जाना चाहती है  
 
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कार के शीशे चढ़ाती गिराती भंगिमाओं के बीच  
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मालिकाना भाव से पोषित तत्व को सम्पूर्णता में परख लेना चाहती है  
 
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मान्यताओं की स्थापना के बीच
 
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वक्त बीतता हुआ  
 
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अचानक दम लेने को ठमक जाता है
 
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19:55, 9 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

कार्तिक का पहला गुलाब
सुर्ख पंखरियाँ सुबह की धूप में
तमाम पृथ्वी को अपनी चमक से आंदोलित करती हुई
तहों की बंद परत के बीच से सुगंध भाप की तरह ऊपर उठती है

वह मात्र सुगंध है गुलाब नहीं
वह रंग
वह गंध
वह पंखिरयों के वर्तुल रूपक में लिपटा
कोमलता, सुकुवांर्ता, सौंदर्य प्रतीक

दृष्टी दूर तक स्वयं के संग जाना चाहती है
कार के शीशे चढ़ाती गिराती भंगिमाओं के बीच
मालिकाना भाव से पोषित तत्व को सम्पूर्णता में परख लेना चाहती है

मान्यताओं की स्थापना के बीच
वक्त बीतता हुआ
अचानक दम लेने को ठमक जाता है