भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"छोड़ो जावण दो / नीरज दइया" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) |
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
|रचनाकार=नीरज दइया | |रचनाकार=नीरज दइया | ||
− | |संग्रह=पाछो कुण आसी | + | |संग्रह=पाछो कुण आसी / नीरज दइया |
}} | }} | ||
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]] | [[Category:मूल राजस्थानी भाषा]] |
05:55, 3 नवम्बर 2015 के समय का अवतरण
छोड़ो जावण दो
थांनै दाय नीं आवैला-
कविता।
थांरी आंख जाणै
फगत सात रंग
पैली तो सुभट सुणो
कविता रै पड़दै में रैवै-
उण रा रंग
अर सात नीं
थे ओळखो सताईस रंग
फेर ई गच्चो खावोला
जद-जद बांचोला कविता।
छोड़ो जावण दो
थांनै दाय नीं आवैला-
कविता
क्यूं कै
थे थांरै रंगां री सींव
लेय नै जोवोला रंग
अर हरेक नुंवीं कविता
थांनै दीसैला सदीव-
रंग-बायरी!