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"सब तुम्‍हें नहीं कर सकते प्यार / कुमार अंबुज" के अवतरणों में अंतर

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यह मुमकिन ही नहीं कि सब तुम्हें करें ‍प्यार
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यह जो तुम बार-बार नाक सिकोड़ते हो
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और माथे पर जो बल आते हैं
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हो सकता है कि किसी एक को इस पर आए ‍प्यार
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लेकिन इसी बात पर तो कई लोग चले जाएंगे तुमसे दूर
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सड़क पार करने की घबराहट खाना खाने में जल्दबाज़ी
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या ज़रा सी बात पर उदास होने की आदत
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कई लोगों को एक साथ तुमसे ‍प्यार करने से रोक ही देगी
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फिर किसी को पसंद नहीं आएगी तुम्हारी चाल
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किसी को आँखों में आँखें डालकर बात करना गुज़रेगा नागवार
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चलते चलते रुककर इमली के पेड़ को देखना
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एक बार फिर तुम्हारे ख़िलाफ़ जाएगा
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कि वे सब तुमको करते हैं ‍प्यार तो रुको और सोचो
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यह बात जीवन की साधारणता के विरोध में जा रही है
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देखो, इस शराब का रंग नीला तो नहीं हो रहा है 
  
यह मुमकिन ही नहीं कि सब तुम्‍हें करें ‍प्यार<br>
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तुम धीरे-धीरे अपनी तरह का जीवन जियोगे
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और यह होगा ही तुम अपने ‍प्यार करने वालों को  
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मुश्किल में डालते चले जाओगे
हो सकता है कि किसी एक को इस पर आए ‍प्यार<br>
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जो उन्नीस सौ चौहत्तर में और जो
लेकिन इसी बात पर तो कई लोग चले जाएंगे तुमसे दूर<br>
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उन्नीस सौ नवासी में करते थे तुमसे प्यार
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और उगते हुए पौधे की तरह देते थे पानी
या जरा सी बात पर उदास होने की आदत<br>
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जो थोड़ी सी जगह छोड़कर खड़े हो गए थे कि तुम्हें मिले प्रकाश 
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जो कि किसी का मन मोहती है  
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एक दूसरा देखता है उसे शिकार की तरह।
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उस रंगीन चिडिया की तरफ देखो<br>
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जो कि किसी का मन मोहती है<br>
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एक दूसरा देखता है उसे शिकार की तरह ।
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18:37, 18 मार्च 2021 के समय का अवतरण

यह मुमकिन ही नहीं कि सब तुम्हें करें ‍प्यार
यह जो तुम बार-बार नाक सिकोड़ते हो
और माथे पर जो बल आते हैं
हो सकता है कि किसी एक को इस पर आए ‍प्यार
लेकिन इसी बात पर तो कई लोग चले जाएंगे तुमसे दूर
सड़क पार करने की घबराहट खाना खाने में जल्दबाज़ी
या ज़रा सी बात पर उदास होने की आदत
कई लोगों को एक साथ तुमसे ‍प्यार करने से रोक ही देगी
फिर किसी को पसंद नहीं आएगी तुम्हारी चाल
किसी को आँखों में आँखें डालकर बात करना गुज़रेगा नागवार
चलते चलते रुककर इमली के पेड़ को देखना
एक बार फिर तुम्हारे ख़िलाफ़ जाएगा
फिर भी यदि बहुत से लोग एक साथ कहें
कि वे सब तुमको करते हैं ‍प्यार तो रुको और सोचो
यह बात जीवन की साधारणता के विरोध में जा रही है
देखो, इस शराब का रंग नीला तो नहीं हो रहा है

तुम धीरे-धीरे अपनी तरह का जीवन जियोगे
और यह होगा ही तुम अपने ‍प्यार करने वालों को
मुश्किल में डालते चले जाओगे
जो उन्नीस सौ चौहत्तर में और जो
उन्नीस सौ नवासी में करते थे तुमसे प्यार
और उगते हुए पौधे की तरह देते थे पानी
जो थोड़ी सी जगह छोड़कर खड़े हो गए थे कि तुम्हें मिले प्रकाश

वे भी एक दिन इसलिए ख़फ़ा हो सकते हैं कि अब
तुम्हारे होने की परछाईं उनकी जगह तक पहुँचती है
कि कुछ लोग तुम्हें प्यार करना बंद नहीं करते
और कुछ नए लोग
तुम्हारे खुरदरेपन की वजह से भी करने लगते हैं प्यार

उस रंगीन चिड़िया की तरफ देखो
जो कि किसी का मन मोहती है
और ठीक उसी वक़्त
एक दूसरा देखता है उसे शिकार की तरह।