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"बचपन / जगदीश व्योम" के अवतरणों में अंतर

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छीनकर खिलौनो को बाँट दिये गम
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बचपन से दूर बहुत दूर हुए हम !
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अच्छी तरह से अभी पढ़ना न आया  
 
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कपड़ों को अपने बदलना न आया
 
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लाद दिए बस्ते हैं भारी-भरकम
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घर आके दिया हुआ काम निबटाना
 
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होम-वर्क करने में फूल जाय दम
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देकर के थपकी न माँ मुझे सुलाती
 
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दादी है अब नहीं कहानियाँ सुनाती
 
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बिलख रही कैद बनी, जीवन सरगम
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इतने कठिन विषय कि छूटे पसीना  
 
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रात-दिन किताबों को घोट-घोट पीना
 
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उस पर भी नम्बर आते हैं बहुत कम
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बचपन से दूर बहुत दूर हुए हम!
 
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-डॅा. जगदीश व्योम
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11:08, 30 नवम्बर 2023 के समय का अवतरण

छीनकर खिलौनो को बाँट दिये गम बचपन से दूर बहुत दूर हुए हम !

अच्छी तरह से अभी पढ़ना न आया कपड़ों को अपने बदलना न आया लाद दिए बस्ते हैं भारी-भरकम बचपन से दूर बहुत दूर हुए हम!

अँग्रेजी शब्दों का पढ़ना-पढ़ाना घर आके दिया हुआ काम निबटाना होम-वर्क करने में फूल जाय दम बचपन से दूर बहुत दूर हुए हम!

देकर के थपकी न माँ मुझे सुलाती दादी है अब नहीं कहानियाँ सुनाती बिलख रही कैद बनी, जीवन सरगम बचपन से दूर बहुत दूर हुए हम!

इतने कठिन विषय कि छूटे पसीना रात-दिन किताबों को घोट-घोट पीना उस पर भी नम्बर आते हैं बहुत कम बचपन से दूर बहुत दूर हुए हम!

-डॅा. जगदीश व्योम </poem>