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"जीने के बारे में / नाज़िम हिक़मत" के अवतरणों में अंतर

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इसे पूरी संजीदगी से लेना चाहिए,
 
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इतना और इस हद तक

14:44, 23 अप्रैल 2016 के समय का अवतरण

(एक)

जीना कोई हँसी-मज़ाक नहीं,
तुम्हें पूरी संजीदगी से जीना चाहिए
मसलन, किसी गिलहरी की तरह
मेरा मतलब ज़िन्दगी से परे और उससे ऊपर
किसी भी चीज़ की तलाश किए बगैर.
मतलब जीना तुम्हारा मुकम्मल कारोबार होना चाहिए.

जीना कोई मज़ाक नहीं,
इसे पूरी संजीदगी से लेना चाहिए,
इतना और इस हद तक
कि मसलन, तुम्हारे हाथ बंधे हों पीठ के पीछे
पीठ सटी हो दीवार से,
या फिर किसी लेबोरेटरी के अन्दर
सफ़ेद कोट और हिफाज़ती चश्मे में ही,
तुम मर सकते हो लोगों के लिए —
उन लोगों के लिए भी जिनसे कभी रूबरू नहीं हुए,
हालाँकि तुम्हें पता है ज़िन्दगी
सबसे असली, सबसे ख़ूबसूरत शै है ।

मतलब, तुम्हें ज़िन्दगी को इतनी ही संजीदगी से लेना है
कि मिसाल के लिए, सत्तर की उम्र में भी
तुम रोपो जैतून के पेड़ —
और वह भी महज अपने बच्चों की खातिर नहीं,
बल्कि इसलिए कि भले ही तुम डरते हो मौत से —
मगर यक़ीन नहीं करते उस पर,
क्योंकि ज़िन्दा रहना, मेरे ख़याल से, मौत से कहीं भारी है।

(दो)

मान लो कि तुम बहुत ही बीमार हो, तुम्हें सर्जरी की ज़रूरत है —
कहने का मतलब उस सफ़ेद टेबुल से
शायद उठ भी न पाओ.
हालाँकि ये मुमकिन नहीं कि हम दुखी न हों
थोड़ा पहले गुज़र जाने को लेकर,
फिर भी हम लतीफ़े सुनकर हँसेंगे,
खिड़की से झाँक कर बारीश का नज़ारा लेंगे
या बेचैनी से
ताज़ा समाचारों का इन्तज़ार करेंगे….

फर्ज करो हम किसी मोर्चे पर हैं —
रख लो, किसी अहम चीज़ की ख़ातिर.
उसी वक़्त वहाँ पहला भारी हमला हो,
मुमकिन है हम औंंधे मुँह गिरें, मौत के मुँह में.
अजीब गुस्से के साथ, हम जानेंगे इसके बारे में,
लेकिन फिर भी हम फिक्रमन्द होंगे मौत को लेकर
जंग के नतीजों को लेकर, जो सालों चलती रहेगी।

फ़र्ज़ करो हम क़ैदखाने में हों
और वह भी तक़रीबन पचास की उम्र में,
और मान लो, लोहे के दरवाज़े खुलने में
अभी अठारह साल और बाक़ी हों ।

फिर भी हम जिएँगे बाहरी दुनिया के साथ,
वहाँ के लोगों और जानवरों, जद्दोजहद और हवा के बीच —
मतलब दीवारों से परे बाहर की दुनिया में,
मतलब, हम जहाँ और जिस हाल में हों,
हमें इस तरह जीना चाहिए जैसे हम कभी मरेंगे ही नहीं।

(तीन)

यह धरती ठण्डी हो जाएगी,
तारों के बीच एक तारा
और सबसे छोटे तारों में से एक,
नीले मखमल पर टँका सुनहरा बूटा —
मेरा मतलब है, यह गजब की धरती हमारी।

यह धरती ठण्डी हो जाएगी एक दिन,
बर्फ़ की एक सिल्ली के मानिन्द नहीं
या किसी मरे हुए बादल की तरह भी नहीं
बल्कि एक खोखले अखरोट की तरह चारों ओर लुढ़केगी
गहरे काले आकाश में…

इस बात के लिए इसी वक़्त मातम करना चाहिए तुम्हें
इस दुःख को इसी वक्त महसूस करना होगा तुम्हें —
क्योंकि दुनिया को इस हद तक प्यार करना ज़रूरी है
अगर तुम कहने जा रहे हो कि “मैंने ज़िन्दगी जी है”…।

अंग्रेज़ी से अनुवाद : दिगम्बर