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| − | कुशल-क्षेम से | + | {{KKCatNavgeet}} |
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| − | बहन तुम्हारी है | + | कुशल-क्षेम से पिया-गेह में बहन तुम्हारी है |
| − | सुबह | + | सुबह सास की झिड़की बदन झिंझोड़ जगाती है, |
| − | सास की झिड़की | + | और ननद की जली-कटी नश्तरें चुभाती है, |
| − | + | पूज्य ससुर की आँखों की बढ़ गई खुमारी है । | |
| − | और ननद की | + | कुशल-क्षेम से पिया-गेह में बहन तुम्हारी है ।। |
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| − | नश्तरें चुभाती है | + | |
| − | पूज्य ससुर की | + | |
| − | आँखों की | + | |
| − | बढ़ | + | |
| − | नहीं हाथ में | + | नहीं हाथ में मेंहदी, झाडू, चूल्हा-चौका है, |
| − | + | देवर रहा तलाश निगल जाने का मौक़ा है, | |
| − | झाडू, चूल्हा-चौका है | + | और जेठ की जिह्वा पर भी रखी दुधारी है । |
| − | देवर रहा तलाश | + | कुशल-क्षेम से पिया-गेह में बहन तुम्हारी है ।। |
| − | निगल जाने का | + | |
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| − | और जेठ की | + | |
| − | जिह्वा पर भी रखी | + | |
| − | दुधारी है | + | |
| − | पति परमेश्वर | + | पति परमेश्वर सिर्फ चाहता, खाना गोश्त गरम, |
| − | सिर्फ चाहता | + | और पड़ोसिन के घर लेती है अफ़वाह जनम, |
| − | खाना | + | करमजली होती शायद दुखियारी नारी है । |
| − | और पड़ोसिन के घर | + | कुशल-क्षेम से पिया-गेह में बहन तुम्हारी है ।। |
| − | लेती है | + | |
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| − | करमजली होती | + | |
| − | शायद | + | |
| − | दुखियारी नारी है | + | |
| − | कई लाख लेकर भी | + | कई लाख लेकर भी गया बनाया दासी है, |
| − | गया बनाया | + | और लिखी क़िस्मत में शायद गहन उदासी है, |
| − | दासी है | + | नहीं सहूँगी अब दुख की भर गई तगारी है। |
| − | और लिखी | + | कुशल-क्षेम से पिया-गेह में बहन तुम्हारी है ।। |
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| − | गहन उदासी है | + | |
| − | नहीं | + | |
| − | अब दुख की भर | + | |
| − | + | ||
03:31, 4 अगस्त 2025 के समय का अवतरण
कुशल-क्षेम से पिया-गेह में बहन तुम्हारी है
सुबह सास की झिड़की बदन झिंझोड़ जगाती है,
और ननद की जली-कटी नश्तरें चुभाती है,
पूज्य ससुर की आँखों की बढ़ गई खुमारी है ।
कुशल-क्षेम से पिया-गेह में बहन तुम्हारी है ।।
नहीं हाथ में मेंहदी, झाडू, चूल्हा-चौका है,
देवर रहा तलाश निगल जाने का मौक़ा है,
और जेठ की जिह्वा पर भी रखी दुधारी है ।
कुशल-क्षेम से पिया-गेह में बहन तुम्हारी है ।।
पति परमेश्वर सिर्फ चाहता, खाना गोश्त गरम,
और पड़ोसिन के घर लेती है अफ़वाह जनम,
करमजली होती शायद दुखियारी नारी है ।
कुशल-क्षेम से पिया-गेह में बहन तुम्हारी है ।।
कई लाख लेकर भी गया बनाया दासी है,
और लिखी क़िस्मत में शायद गहन उदासी है,
नहीं सहूँगी अब दुख की भर गई तगारी है।
कुशल-क्षेम से पिया-गेह में बहन तुम्हारी है ।।
