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हम हर रात
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पैर धोकर सोते है
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चित्त
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हम हर रात <br>
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माँ
करवट होकर।<br>
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छाती पर हाथ बाँधकर<br>
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::सरौता रख देती है
चित्त<br>
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::बिना नागा।
हम कभी नहीं सोते।<br><br>
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माँ कहती है
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डरावने सपने इससे
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माँ<br>
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टुइयाँ के तकिये के नीचे<br>
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माँ  
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माँ कहती है <br>
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डरावने सपने इससे<br>
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डर जाते है।<br><br>
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फिरकनी सी खटती<br>
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माँ <br>
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हमारे सपनों के लिए<br>
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कितनी चिन्तित है!
 
कितनी चिन्तित है!
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01:39, 20 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण

हम हर रात
पैर धोकर सोते है
करवट होकर।
छाती पर हाथ बाँधकर
चित्त
हम कभी नहीं सोते।

सोने से पहले
माँ
टुइयाँ के तकिये के नीचे
सरौता रख देती है
बिना नागा।
माँ कहती है
डरावने सपने इससे
डर जाते है।

दिन-भर
फिरकनी-सी खटती
माँ
हमारे सपनों के लिए
कितनी चिन्तित है!