भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"संवेदना / संवेदना / राहुल शिवाय" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 7: पंक्ति 7:
 
{{KKCatAngikaRachna}}
 
{{KKCatAngikaRachna}}
 
<poem>
 
<poem>
नै भावै छै रूपया पैसा,
+
गीत के मोती हृदय के सीप मेॅ छै ,
नै भावै छै कपड़ा-लत्ता,
+
हास-करुणा तेॅ हरेक टा गीत मेॅ छै,  
नै चाहै छी पायल-झुमका,
+
कविता की छै ? भावना छै, कल्पना छै |
नै चाहै छी हम मनटिक्का,
+
कविता के जननी तेॅ बस संवेदना छै |
सबसेॅ बड़का ई जीवन मेॅ
+
एतने टा छै बात हे बहिना |
+
हमरोॅ तॅे सिन्दूरे गहना |
+
  
सैंया जी जे होलै विदेशी,  
+
देखी केॅ सौंदर्य केॅ सौंसे जगत मेॅ,
होतै पैसा-कौड़ी बेसी,
+
जागै छै जे कामना, नर मेॅ, भगत मेॅ,
मतुर ई जीवन छै केहनाॅे,
+
कामना की ? कविता के ई प्रेरणा छै |
सोना लगतै छाउरोॅ जेहनाॅे,  
+
कविता के जननी तेॅ बस संवेदना छै |  
हमरा विरहा के आगिन में
+
जलना नै छै आबे बहिना |
+
हमरोॅ तेॅ सिन्दूरे गहना |
+
  
दोनाॅे गोटा घाॅेर चलैबै,
+
जब कभी भी आँखोॅ सेॅ ऑंसू बहै छै,
बच्चा केॅ भी खूब पढैबै,  
+
होठ कानी-कानी केॅ स्वर केॅ जनै छै ,
दिनभर हम्मू मेहनत करबै,
+
कानना की ? कविता के ई वेदना छै |
घरबा केॅ अन-धन सॅे भरबै,
+
कविता के जननी तेॅ बस संवेदना छै |
तोहीं बताबाॅे बिन मालिक के  
+
लगतै की घरबा बहिना ?
+
हमरोॅ तॅे सिन्दूरे गहना |
+
  
रचनाकाल - 10 जून 2008
 
  
 +
 +
रचनाकाल- 10 मार्च 2010
  
 
</poem>
 
</poem>

23:58, 12 मई 2016 के समय का अवतरण

गीत के मोती हृदय के सीप मेॅ छै ,
हास-करुणा तेॅ हरेक टा गीत मेॅ छै,
कविता की छै ? भावना छै, कल्पना छै |
कविता के जननी तेॅ बस संवेदना छै |

देखी केॅ सौंदर्य केॅ सौंसे जगत मेॅ,
जागै छै जे कामना, नर मेॅ, भगत मेॅ,
कामना की ? कविता के ई प्रेरणा छै |
कविता के जननी तेॅ बस संवेदना छै |

जब कभी भी आँखोॅ सेॅ ऑंसू बहै छै,
होठ कानी-कानी केॅ स्वर केॅ जनै छै ,
कानना की ? कविता के ई वेदना छै |
कविता के जननी तेॅ बस संवेदना छै |



रचनाकाल- 10 मार्च 2010