अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
(इसी सदस्य द्वारा किये गये बीच के 3 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
|रचनाकार=अनिल जनविजय | |रचनाकार=अनिल जनविजय | ||
− | |||
}} | }} | ||
− | + | {{KKCatKavita}} | |
+ | <Poem> | ||
अच्छे कवियों को सब हिदी वाले नकारते | अच्छे कवियों को सब हिदी वाले नकारते | ||
− | |||
और बुरे कवियों के सौ-सौ गुण बघारते | और बुरे कवियों के सौ-सौ गुण बघारते | ||
− | + | ऐसा क्यों है, ये बताएँ ज़रा, भाई अनिल जी | |
− | + | ||
− | + | ||
अच्छे कवि क्यों नहीं कहलाते हैं सलिल जी | अच्छे कवि क्यों नहीं कहलाते हैं सलिल जी | ||
− | |||
क्यों ले-दे कर छपने वाले कवि बने हैं | क्यों ले-दे कर छपने वाले कवि बने हैं | ||
− | |||
क्यों हरी घास को चरने वाले कवि बने हैं | क्यों हरी घास को चरने वाले कवि बने हैं | ||
− | |||
परमानन्द और नवल सरीखे हिन्दी के लोचे | परमानन्द और नवल सरीखे हिन्दी के लोचे | ||
− | |||
क्यों देश-विदेश में हिन्दी रचना की छवि बने हैं | क्यों देश-विदेश में हिन्दी रचना की छवि बने हैं | ||
− | + | क्यों शुक्ला, जोशी, लंठ सरीखे नागर, राठी | |
− | क्यों शुक्ला, जोशी, लंठ सरीखे नागर राठी | + | |
− | + | ||
हिन्दी कविता पर बैठे हैं चढ़ा कर काठी | हिन्दी कविता पर बैठे हैं चढ़ा कर काठी | ||
− | |||
पूछ रहे अपने ई-पत्र में सुशील कुमार जी | पूछ रहे अपने ई-पत्र में सुशील कुमार जी | ||
− | |||
कब बदलेगी हिन्दी कविता की यह परिपाटी | कब बदलेगी हिन्दी कविता की यह परिपाटी | ||
+ | </poem> |
20:48, 22 सितम्बर 2009 के समय का अवतरण
अच्छे कवियों को सब हिदी वाले नकारते
और बुरे कवियों के सौ-सौ गुण बघारते
ऐसा क्यों है, ये बताएँ ज़रा, भाई अनिल जी
अच्छे कवि क्यों नहीं कहलाते हैं सलिल जी
क्यों ले-दे कर छपने वाले कवि बने हैं
क्यों हरी घास को चरने वाले कवि बने हैं
परमानन्द और नवल सरीखे हिन्दी के लोचे
क्यों देश-विदेश में हिन्दी रचना की छवि बने हैं
क्यों शुक्ला, जोशी, लंठ सरीखे नागर, राठी
हिन्दी कविता पर बैठे हैं चढ़ा कर काठी
पूछ रहे अपने ई-पत्र में सुशील कुमार जी
कब बदलेगी हिन्दी कविता की यह परिपाटी