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"दुश्मन न करे दोस्त ने / इंदीवर" के अवतरणों में अंतर

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हमसे क्या पूछते हो दर्द कहाँ होता है।
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दुश्मन न करे दोस्त ने वो काम किया है
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उम्र भर का ग़म हमें ईनाम दिया है
  
आपका तीर बता देगा जहाँ होता है।। हमसे क्या पूछते...
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तूफ़ां में हमको छोड़ के साहिल पे आ गये
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नाख़ुदा का हमने जिन्हें नाम दिया है
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उम्र भर का ग़म ...
  
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पहले तो होश छीन लिये ज़ुल्म-ओ-सितम से
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दीवानगी का फिर हमें इल्ज़ाम दिया है
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उम्र भर का ग़म ...
  
ये लगी ऎसी लगी है कि पता भी न लगा।
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अपने ही गिराते हैं नशेमन पे बिजलियाँ
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ग़ैरों ने आ के फिर भी उसे थाम लिया है
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उम्र भर का ग़म ...
  
आग लगने से भी कुछ देर धुआँ होता है।। हमसे क्या पूछते...
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बन के रक़ीब बैठे हैं वो जो हबीब थे
 
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यारों ने ख़ूब फ़र्ज़ को अंजाम दिया है
 
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उम्र भर का ग़म ...
दिल में जो दर्द है तुम उसकी दवा मत पूछो!
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दर्द कम होने से ये दर्द जवाँ होता है।। हमसे क्या पूछते...
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08:17, 1 मार्च 2010 के समय का अवतरण

दुश्मन न करे दोस्त ने वो काम किया है
उम्र भर का ग़म हमें ईनाम दिया है

तूफ़ां में हमको छोड़ के साहिल पे आ गये
नाख़ुदा का हमने जिन्हें नाम दिया है
उम्र भर का ग़म ...

पहले तो होश छीन लिये ज़ुल्म-ओ-सितम से
दीवानगी का फिर हमें इल्ज़ाम दिया है
उम्र भर का ग़म ...

अपने ही गिराते हैं नशेमन पे बिजलियाँ
ग़ैरों ने आ के फिर भी उसे थाम लिया है
उम्र भर का ग़म ...

बन के रक़ीब बैठे हैं वो जो हबीब थे
यारों ने ख़ूब फ़र्ज़ को अंजाम दिया है
उम्र भर का ग़म ...