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"दुश्मन न करे दोस्त ने / इंदीवर" के अवतरणों में अंतर
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08:17, 1 मार्च 2010 के समय का अवतरण
दुश्मन न करे दोस्त ने वो काम किया है
उम्र भर का ग़म हमें ईनाम दिया है
तूफ़ां में हमको छोड़ के साहिल पे आ गये
नाख़ुदा का हमने जिन्हें नाम दिया है
उम्र भर का ग़म ...
पहले तो होश छीन लिये ज़ुल्म-ओ-सितम से
दीवानगी का फिर हमें इल्ज़ाम दिया है
उम्र भर का ग़म ...
अपने ही गिराते हैं नशेमन पे बिजलियाँ
ग़ैरों ने आ के फिर भी उसे थाम लिया है
उम्र भर का ग़म ...
बन के रक़ीब बैठे हैं वो जो हबीब थे
यारों ने ख़ूब फ़र्ज़ को अंजाम दिया है
उम्र भर का ग़म ...