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साहित्यिक पत्रिका परिवेश द्वारा प्रतिवर्ष किसी रचनाकार को दिया जाने वाला चौदहवाँ परिवेश सम्मान वर्ष 2007 के लिए कवि-आलोचक शैलेंद्र चौहान को देने का निर्णय लिया गया है। परिवेश सम्मान की घोषणा करते हुए परिवेश के सम्पादक मूलचंद गौतम एवं महेश राही ने कहा कि हिन्दी में तमाम तरह के पुरस्कारों एवं सम्मानों के बीच इस सम्मान का अपना वैशिष्टय है। परिवेश के 53वें अंक में शैलेंद्र चौहान के साहित्यिक अवदान पर विशेष सामग्री केद्रिंत की जायेगी। 1957 में मध्यप्रदेश के खरगौन में जन्मे श्री शैलेंद्र चौहान को कविता विरासत के बजाय आत्मान्वेषण और आत्मभिव्यक्ति के संघर्ष के दौरान मिली है। निरन्तर सजग होते आत्मबोध ने उनकी रचनाशीलता को प्रखरता और सोद्देश्यता से संपन्न किया है। इसी कारण कविता उनके लिए संपूर्ण सामाजिकता और दायित्व की तलाश है। विचार, विवेक और बोध उनकी कविता के अतिरिक्त गुण हैं। जब कविता और कला आधुनिकता की होड़ में निरन्तर अमूर्त होती जा रही हो, ऐसे में शैलेंद्र चौहान समाज के हाशिए पर पड़े लोगों के दु:ख तकलीफों को, उनके चेहरों पर पढ़ने की कोशिश करते हैं। शैलेन्द्र चौहान को दिया जाने वाला 2007 का परिवेश सम्मान इसी अनुभव और सजग मानवीय प्रतिबध्दता का सम्मान है।
 
साहित्यिक पत्रिका परिवेश द्वारा प्रतिवर्ष किसी रचनाकार को दिया जाने वाला चौदहवाँ परिवेश सम्मान वर्ष 2007 के लिए कवि-आलोचक शैलेंद्र चौहान को देने का निर्णय लिया गया है। परिवेश सम्मान की घोषणा करते हुए परिवेश के सम्पादक मूलचंद गौतम एवं महेश राही ने कहा कि हिन्दी में तमाम तरह के पुरस्कारों एवं सम्मानों के बीच इस सम्मान का अपना वैशिष्टय है। परिवेश के 53वें अंक में शैलेंद्र चौहान के साहित्यिक अवदान पर विशेष सामग्री केद्रिंत की जायेगी। 1957 में मध्यप्रदेश के खरगौन में जन्मे श्री शैलेंद्र चौहान को कविता विरासत के बजाय आत्मान्वेषण और आत्मभिव्यक्ति के संघर्ष के दौरान मिली है। निरन्तर सजग होते आत्मबोध ने उनकी रचनाशीलता को प्रखरता और सोद्देश्यता से संपन्न किया है। इसी कारण कविता उनके लिए संपूर्ण सामाजिकता और दायित्व की तलाश है। विचार, विवेक और बोध उनकी कविता के अतिरिक्त गुण हैं। जब कविता और कला आधुनिकता की होड़ में निरन्तर अमूर्त होती जा रही हो, ऐसे में शैलेंद्र चौहान समाज के हाशिए पर पड़े लोगों के दु:ख तकलीफों को, उनके चेहरों पर पढ़ने की कोशिश करते हैं। शैलेन्द्र चौहान को दिया जाने वाला 2007 का परिवेश सम्मान इसी अनुभव और सजग मानवीय प्रतिबध्दता का सम्मान है।
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परिचय
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शैलेन्द्र चौहान
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जन्म : २१-१२-१९५४ ( खरगौन )
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पैतृक स्थान : मैनपुरी (उ.प्र.)
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संप्रति स्थाई निवास : जयपुर (राजस्थान)
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शिक्षा : प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा ( विदिशा जिले के ग्रामीण भाग में )
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बी.ई. ( इलेक्ट्रिकल ) विदिशा से
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लेखन : विद्यार्थी जीवन से प्रारंभ
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कविताएँ एवं कहानियाँ,
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बाद को आलोचना में हाथ आजमाए,
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वैज्ञानिक, शैक्षिक, सामाजिक एवं राजनैतिक लेखन भी
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प्रकाशन : सभी स्तरीय साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित लेखन
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कविता संग्रह : नौ रुपये बीस पैसे के लिए, १९८३ में प्रकाशित
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श्वेतपत्र दो दशकों के अंतराल के बाद 2002 में  व
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और कितने प्रकाश वर्ष 2003 में
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ईश्वर की चौखट पर 2004 में
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कहानी संग्रह : नहीं यह कोई कहानी नहीं, १९९६ में प्रकाशित
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कथा, संस्मरणात्मक उपन्यास एवं एक आलोचना पुस्तक तैयार
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संपादन : धरती अनियतकालिक साहित्यिक पत्रिका, जिसके कुछ अंक, यथा गज़ल अंक, समकालीन कविता अंक, त्रिलोचन अंक और शील अंक चर्चित रहे, हाल ही में कवि शलभ श्रीराम सिंह पर एक महत्वपूर्ण अंक संपादित.
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अन्य :    श्री रामवृक्ष बेनीपुरी पर सामान्य जन संदेश का बहुचर्चित विशेषांक संपादित,सुप्रसिद्ध क्रांतिकारी कुंदनलाल गुप्त, शिव वर्मा एवं अमर शहीद महावीर सिंह की संक्षिप्त परिचयात्मक जीवनियां एक निबन्ध संग्रह संस्कृति और समाज, विकल्प की ओर से प्रकाश्य. अभिव्यक्ति, प्रेरणा और सामान्य जन संदेश पत्रिकाओं में संपादन सहयोग.
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’सदी के आखरी दौर में’ कविता संग्रह के बारह कवियों में से एक सामाजिक, सांस्कृतिक गतिविधियों में लगातार सक्रियता पुरस्कारों, सम्मानों एवं जोड़-जुगाड़ से नितांत परहेज़.
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संप्रति : एक सार्वजनिक उपक्रम में मुख्य प्रबंधक

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परिवेश सम्मान - 2007

साहित्यिक पत्रिका परिवेश द्वारा प्रतिवर्ष किसी रचनाकार को दिया जाने वाला चौदहवाँ परिवेश सम्मान वर्ष 2007 के लिए कवि-आलोचक शैलेंद्र चौहान को देने का निर्णय लिया गया है। परिवेश सम्मान की घोषणा करते हुए परिवेश के सम्पादक मूलचंद गौतम एवं महेश राही ने कहा कि हिन्दी में तमाम तरह के पुरस्कारों एवं सम्मानों के बीच इस सम्मान का अपना वैशिष्टय है। परिवेश के 53वें अंक में शैलेंद्र चौहान के साहित्यिक अवदान पर विशेष सामग्री केद्रिंत की जायेगी। 1957 में मध्यप्रदेश के खरगौन में जन्मे श्री शैलेंद्र चौहान को कविता विरासत के बजाय आत्मान्वेषण और आत्मभिव्यक्ति के संघर्ष के दौरान मिली है। निरन्तर सजग होते आत्मबोध ने उनकी रचनाशीलता को प्रखरता और सोद्देश्यता से संपन्न किया है। इसी कारण कविता उनके लिए संपूर्ण सामाजिकता और दायित्व की तलाश है। विचार, विवेक और बोध उनकी कविता के अतिरिक्त गुण हैं। जब कविता और कला आधुनिकता की होड़ में निरन्तर अमूर्त होती जा रही हो, ऐसे में शैलेंद्र चौहान समाज के हाशिए पर पड़े लोगों के दु:ख तकलीफों को, उनके चेहरों पर पढ़ने की कोशिश करते हैं। शैलेन्द्र चौहान को दिया जाने वाला 2007 का परिवेश सम्मान इसी अनुभव और सजग मानवीय प्रतिबध्दता का सम्मान है। परिचय

शैलेन्द्र चौहान जन्म : २१-१२-१९५४ ( खरगौन ) पैतृक स्थान : मैनपुरी (उ.प्र.) संप्रति स्थाई निवास : जयपुर (राजस्थान) शिक्षा : प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा ( विदिशा जिले के ग्रामीण भाग में )

बी.ई. ( इलेक्ट्रिकल ) विदिशा से लेखन : विद्यार्थी जीवन से प्रारंभ कविताएँ एवं कहानियाँ, बाद को आलोचना में हाथ आजमाए, वैज्ञानिक, शैक्षिक, सामाजिक एवं राजनैतिक लेखन भी

प्रकाशन : सभी स्तरीय साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित लेखन

कविता संग्रह : नौ रुपये बीस पैसे के लिए, १९८३ में प्रकाशित श्वेतपत्र दो दशकों के अंतराल के बाद 2002 में व और कितने प्रकाश वर्ष 2003 में ईश्वर की चौखट पर 2004 में

कहानी संग्रह : नहीं यह कोई कहानी नहीं, १९९६ में प्रकाशित कथा, संस्मरणात्मक उपन्यास एवं एक आलोचना पुस्तक तैयार

संपादन : धरती अनियतकालिक साहित्यिक पत्रिका, जिसके कुछ अंक, यथा गज़ल अंक, समकालीन कविता अंक, त्रिलोचन अंक और शील अंक चर्चित रहे, हाल ही में कवि शलभ श्रीराम सिंह पर एक महत्वपूर्ण अंक संपादित.

अन्य : श्री रामवृक्ष बेनीपुरी पर सामान्य जन संदेश का बहुचर्चित विशेषांक संपादित,सुप्रसिद्ध क्रांतिकारी कुंदनलाल गुप्त, शिव वर्मा एवं अमर शहीद महावीर सिंह की संक्षिप्त परिचयात्मक जीवनियां एक निबन्ध संग्रह संस्कृति और समाज, विकल्प की ओर से प्रकाश्य. अभिव्यक्ति, प्रेरणा और सामान्य जन संदेश पत्रिकाओं में संपादन सहयोग.

’सदी के आखरी दौर में’ कविता संग्रह के बारह कवियों में से एक सामाजिक, सांस्कृतिक गतिविधियों में लगातार सक्रियता पुरस्कारों, सम्मानों एवं जोड़-जुगाड़ से नितांत परहेज़.

संप्रति : एक सार्वजनिक उपक्रम में मुख्य प्रबंधक