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"आता हुआ अतीत / मोहन राणा" के अवतरणों में अंतर

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आता हुआ अतीत,
 
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भविष्य जिसे जीते हुए भी
 
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अभी जानना बाकी है
 
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दरवाज़े के परे ज़िंदगी है,
 
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और अटकल लगी है मन में कि
 
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बाहर या भीतर
 
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इस तरफ़ या उधर
 
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यह बंद है या खुला!  
 
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किसे है प्रतीक्षा वहाँ मेरी
 
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किसकी है प्रतीक्षा मुझे
 
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अभी जानना बाकी है
 
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एक क़दम आगे
 
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एक क़दम छूटता है पीछे
 
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सच ना चाबी है ना ही ताला
 
सच ना चाबी है ना ही ताला
  
 
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'''रचनाकाल: 30.5.2005
 
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30.5.2005
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17:31, 26 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण

आता हुआ अतीत,
भविष्य जिसे जीते हुए भी
अभी जानना बाकी है

दरवाज़े के परे ज़िंदगी है,
और अटकल लगी है मन में कि
बाहर या भीतर
इस तरफ़ या उधर
यह बंद है या खुला!
किसे है प्रतीक्षा वहाँ मेरी
किसकी है प्रतीक्षा मुझे
अभी जानना बाकी है

एक क़दम आगे
एक क़दम छूटता है पीछे
सच ना चाबी है ना ही ताला

रचनाकाल: 30.5.2005