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"किसी आशा में / मोहन राणा" के अवतरणों में अंतर

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गूंगे शब्दों से  
 
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भरा मुँह
 
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आज का दिन भी नहीं कहता
 
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कुछ नया,
 
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खोल देता हूँ खिड़की दरवाजे
 
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किसी आशा में
 
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'''रचनाकाल: 5.9.2001
5.9.2001
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17:32, 26 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण

गूंगे शब्दों से
भरा मुँह
शैवालों से भरी किताबें
आज का दिन भी नहीं कहता
कुछ नया,
खोल देता हूँ खिड़की दरवाजे
किसी आशा में

रचनाकाल: 5.9.2001