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"अपवाद / मोहन राणा" के अवतरणों में अंतर

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तुम अपवाद हो इसलिए
 
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सोचता मैं कोई शब्द जो फुसलादे
 
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मेरे साथ चलती छाया को
 
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कुछ देर कि मैं छिप जाऊँ किसी मोड़ पे,
 
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देखूँ होकर अदृश्य
 
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अपने ही जीवन के विवाद को
 
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रिक्त स्थानों के संवाद में.
 
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26.11.2005
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17:39, 26 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण

तुम अपवाद हो इसलिए
अपने आप से करता मेरा विवाद हो,
सोचता मैं कोई शब्द जो फुसलादे
मेरे साथ चलती छाया को
कुछ देर कि मैं छिप जाऊँ किसी मोड़ पे,
देखूँ होकर अदृश्य
अपने ही जीवन के विवाद को
रिक्त स्थानों के संवाद में.

रचनाकाल: 26.11.2005