भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"पावती / मोहन राणा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मोहन राणा |संग्रह=पत्थर हो जाएगी नदीं / मोहन राणा }} लौट...) |
|||
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 3 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
|रचनाकार=मोहन राणा | |रचनाकार=मोहन राणा | ||
− | |संग्रह=पत्थर हो जाएगी | + | |संग्रह=पत्थर हो जाएगी नदी / मोहन राणा |
}} | }} | ||
− | + | {{KKCatKavita}} | |
+ | <poem> | ||
लौटती हुई रचनाएँ | लौटती हुई रचनाएँ | ||
− | |||
किसे होता है खेद | किसे होता है खेद | ||
− | |||
संपादक को | संपादक को | ||
− | + | कवि को? | |
− | कवि को ? | + | |
− | + | ||
शहडोल के शर्मा जी को | शहडोल के शर्मा जी को | ||
− | |||
परीक्षाओं के कुंजीकारों को | परीक्षाओं के कुंजीकारों को | ||
− | |||
नई सड़क की भीड़ को | नई सड़क की भीड़ को | ||
− | |||
किसी अधूरे | किसी अधूरे | ||
− | |||
बड़बड़ाए वाक्य को | बड़बड़ाए वाक्य को | ||
− | |||
किसे होता है खेद इस चुप्पी में | किसे होता है खेद इस चुप्पी में | ||
− | |||
मुझे कोई खेद नहीं | मुझे कोई खेद नहीं | ||
− | |||
उन्हें भी कोई खेद नहीं | उन्हें भी कोई खेद नहीं | ||
− | |||
फिर यह पावती किसके लिए | फिर यह पावती किसके लिए | ||
− | + | '''रचनाकाल: 9.2.2006 | |
− | + | </poem> | |
− | 9.2.2006 | + |
17:48, 26 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण
लौटती हुई रचनाएँ
किसे होता है खेद
संपादक को
कवि को?
शहडोल के शर्मा जी को
परीक्षाओं के कुंजीकारों को
नई सड़क की भीड़ को
किसी अधूरे
बड़बड़ाए वाक्य को
किसे होता है खेद इस चुप्पी में
मुझे कोई खेद नहीं
उन्हें भी कोई खेद नहीं
फिर यह पावती किसके लिए
रचनाकाल: 9.2.2006