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"झपकी / मोहन राणा" के अवतरणों में अंतर
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नंगे पेड़ों पर | नंगे पेड़ों पर | ||
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उधड़ी हुई दीवारों पर | उधड़ी हुई दीवारों पर | ||
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बेघर मकानों पर | बेघर मकानों पर | ||
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खोए हुए रास्तों पर | खोए हुए रास्तों पर | ||
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भूखे मैदानों पर | भूखे मैदानों पर | ||
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बिसरी हुई स्मृतियों पर | बिसरी हुई स्मृतियों पर | ||
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बेचैन खिड़कियों पर | बेचैन खिड़कियों पर | ||
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छुपी हुई छायाओं में बीतती दोपहर पर, | छुपी हुई छायाओं में बीतती दोपहर पर, | ||
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हल्का सा स्पर्श | हल्का सा स्पर्श | ||
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ढांप लेता हूँ उसे हथेलियों से, | ढांप लेता हूँ उसे हथेलियों से, | ||
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उठता है मंद होते संसार का स्वर | उठता है मंद होते संसार का स्वर | ||
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आँख खुलते ही | आँख खुलते ही | ||
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17:47, 26 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण
नंगे पेड़ों पर
उधड़ी हुई दीवारों पर
बेघर मकानों पर
खोए हुए रास्तों पर
भूखे मैदानों पर
बिसरी हुई स्मृतियों पर
बेचैन खिड़कियों पर
छुपी हुई छायाओं में बीतती दोपहर पर,
हल्का सा स्पर्श
ढांप लेता हूँ उसे हथेलियों से,
उठता है मंद होते संसार का स्वर
आँख खुलते ही
रचनाकाल: 3.2.2005