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"रोज़ समय का चाकू / हेमन्त शेष" के अवतरणों में अंतर
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हमारा दुनिया का सेब चीरता है | हमारा दुनिया का सेब चीरता है | ||
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घिरते हुए शोक की पौष्टिकता में | घिरते हुए शोक की पौष्टिकता में | ||
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हम प्रफुल्लित होते हैं | हम प्रफुल्लित होते हैं | ||
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दोनों एक से हैं-- स्वास्थ्य और बीमारी | दोनों एक से हैं-- स्वास्थ्य और बीमारी | ||
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चाकू के सामने | चाकू के सामने | ||
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कटती हुई दुनिया में | कटती हुई दुनिया में | ||
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11:22, 17 जनवरी 2011 के समय का अवतरण
रोज़ समय का चाकू
हमारा दुनिया का सेब चीरता है
घिरते हुए शोक की पौष्टिकता में
हम प्रफुल्लित होते हैं
दोनों एक से हैं-- स्वास्थ्य और बीमारी
चाकू के सामने
कटती हुई दुनिया में