भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"तुम करोगे दुख / हेमन्त शेष" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हेमन्त शेष |संग्रह=अशुद्ध सारंग / हेमन्त शेष }} तुम करोग...) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
|संग्रह=अशुद्ध सारंग / हेमन्त शेष | |संग्रह=अशुद्ध सारंग / हेमन्त शेष | ||
}} | }} | ||
− | + | {{KKCatKavita}} | |
+ | <poem> | ||
तुम करोगे दुख | तुम करोगे दुख | ||
− | |||
कि तुम उसे चूम न पाए | कि तुम उसे चूम न पाए | ||
− | |||
स्त्रियों का रूपवती होना | स्त्रियों का रूपवती होना | ||
− | |||
काल्पनिक चुम्बन की | काल्पनिक चुम्बन की | ||
− | |||
पहली शर्त है | पहली शर्त है | ||
− | |||
और फिर आपका दुखी होना | और फिर आपका दुखी होना | ||
− | |||
कि चूमना इतना आसान नहीं | कि चूमना इतना आसान नहीं | ||
− | |||
चूमने और दुखी होने यानी दोनों के बीच में | चूमने और दुखी होने यानी दोनों के बीच में | ||
− | |||
एक ही चीज़ है-- | एक ही चीज़ है-- | ||
− | |||
रूपवती स्त्री | रूपवती स्त्री | ||
− | |||
जो दोनों से बेख़बर है | जो दोनों से बेख़बर है | ||
− | |||
अब भी | अब भी | ||
− | |||
आपके पछतावे और | आपके पछतावे और | ||
− | |||
अपने शानदार सतीत्व में | अपने शानदार सतीत्व में | ||
+ | </poem> |
11:35, 17 जनवरी 2011 के समय का अवतरण
तुम करोगे दुख
कि तुम उसे चूम न पाए
स्त्रियों का रूपवती होना
काल्पनिक चुम्बन की
पहली शर्त है
और फिर आपका दुखी होना
कि चूमना इतना आसान नहीं
चूमने और दुखी होने यानी दोनों के बीच में
एक ही चीज़ है--
रूपवती स्त्री
जो दोनों से बेख़बर है
अब भी
आपके पछतावे और
अपने शानदार सतीत्व में