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"छोटी-छोटी घातें / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर
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+ | औ बढ़-चढ़ कर बातें | ||
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+ | रेशा-रेशा दरका | ||
+ | सपने बुनने में बड़ा डर लगे | ||
+ | हममें हैं जो खामियाँ | ||
+ | पहले उन्हें तो कहें | ||
+ | वातावरण देख लें | ||
+ | तब तो हवा में बहें | ||
+ | यह डगर दुरंगी है | ||
+ | पग-पग पर तंगी है | ||
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+ | होते हैं घर से शुरू | ||
+ | आतंक के रास्ते | ||
+ | नवव्याहता जल गयी | ||
+ | चंद सामान के वास्ते | ||
+ | यह घूस-कमीशन की | ||
+ | कोठी किसके धन की | ||
+ | खुलेगी जब सच्चाई | ||
+ | क्या होगा तब फिर भाई | ||
+ | पर्दा उठने में बड़ा डर लगे | ||
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23:03, 1 जनवरी 2017 के समय का अवतरण
छोटी-छोटी घातें
औ बढ़-चढ़ कर बातें
देख लिया सबका
रेशा-रेशा दरका
सपने बुनने में बड़ा डर लगे
हममें हैं जो खामियाँ
पहले उन्हें तो कहें
वातावरण देख लें
तब तो हवा में बहें
यह डगर दुरंगी है
पग-पग पर तंगी है
धँस जाँय न दलदल में
फँस जाँय न जंगल में
आगे बढ़ने में
बड़ा डर लगे
होते हैं घर से शुरू
आतंक के रास्ते
नवव्याहता जल गयी
चंद सामान के वास्ते
यह घूस-कमीशन की
कोठी किसके धन की
खुलेगी जब सच्चाई
क्या होगा तब फिर भाई
पर्दा उठने में बड़ा डर लगे