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"खुली खिड़की / शम्भु बादल" के अवतरणों में अंतर

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तुम्हारी खुली खिड़की से
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देश लुट जाए
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तुम्हें आनन्द है
  
तुम्हारी खुली खिड़की से<br>
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तुम्हारी खुली खिड़की से
देश लुट जाए<br>
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किसी का घर प्रकाशित हो
तुम्हें आनन्द है<br><br>
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तुम्हें क्यों एतराज है ?
 
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तुम्हारी खुली खिड़की से<br>
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किसी का घर प्रकाशित हो<br>
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तुम्हे क्यों एतराज है?
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12:16, 3 अगस्त 2012 के समय का अवतरण

तुम्हारी खुली खिड़की से
देश लुट जाए
तुम्हें आनन्द है

तुम्हारी खुली खिड़की से
किसी का घर प्रकाशित हो
तुम्हें क्यों एतराज है ?