Last modified on 24 जून 2009, at 02:35

"अभीष्ट / गिरधर राठी" के अवतरणों में अंतर

(New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= गिरिधर राठी |संग्रह= निमित्त / गिरिधर राठी }} हमारी इच्...)
 
 
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
|रचनाकार= गिरिधर राठी
+
|रचनाकार= गिरधर राठी
|संग्रह= निमित्त / गिरिधर राठी
+
|संग्रह= निमित्त / गिरधर राठी
 
}}
 
}}
  

02:35, 24 जून 2009 के समय का अवतरण

हमारी इच्छाएँ सरल हैं जिन में

जुड़ती चली जाती हैं कुछ और सरल

इच्छाएँ


हमें घर दो घर दो घर दो

हम कहते हैं बार-बार

अनमने मन से


हमें घर दो


सरकार हो या ईश्वर या पड़ोसी

हम सभी से कहते हैं

घर दो


दो हमें दीवारें जिन के दरम्यान

जिलाए जा सकते हैं भ्रूण

खुल खेल सकते हैं पाप जो

चहारदीवारी के बाहर अपराध हैं


यह सिर्फ़ एक मिसाल है हमारी

सरलतम इच्छाओं की

अकारादि क्रम से इनकी सूची बन सकती है


बीच-बीच में आता रहेगा ज्ञान

और अंत में अंतिम इच्छाओं की

एक और सूची...