भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"प्रस्तुति / सुचेता मिश्र" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (New page: {{KKGlobal}} {{KKAnooditRachna |रचनाकार= सुचेता मिश्र |संग्रह= }} Category:ओड़िया एक खुशखबरी लाने...) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 56: | पंक्ति 56: | ||
युद्ध में लगाना सीख चुका होगा। | युद्ध में लगाना सीख चुका होगा। | ||
+ | |||
+ | |||
+ | |||
+ | '''अनुवादक : महेन्द्र शर्मा |
12:07, 25 मई 2008 के समय का अवतरण
|
एक खुशखबरी लाने गया इन्सान
एक दिन ज़रूर लौटेगा !
उससे तुमने कहा है-
राजा-रानी का विवाद
चाँद पर पहुँचे आदमी की असुविधाएं
मानचित्र को रौंदती
शीत युद्ध की समस्या
उसने तुमसे सिर्फ
एक सवाल पूछा है-
खेत से जाकर शस्य कहाँ रहते हैं?
तुमने उसे किस ठिकाने भेजा है
अधगढ़े भाग्य
एक संकल्प का व्यंग्य लिए
वह गया तो गया है।
अगर वह थक गया है
तुम खुश मत होओ
अगर मर गया है
तो भी नहीं
पुनर्जन्म की तरह लौटेगा वह।
तुम छिपा रखो
सारे अस्त्र-शस्त्र
वह अपनी छाती भीतर परमाणु को
युद्ध में लगाना सीख चुका होगा।
अनुवादक : महेन्द्र शर्मा