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"बोलना / अरुण कमल" के अवतरणों में अंतर
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वह कभी चुप्प और स्थिर बैठ नहीं सकता | वह कभी चुप्प और स्थिर बैठ नहीं सकता | ||
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ज़रा-सी हवा लगते फेंकता लपट | ज़रा-सी हवा लगते फेंकता लपट | ||
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:::बकता है लगातार | :::बकता है लगातार | ||
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काम की बात बोलता है | काम की बात बोलता है | ||
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जो जितना सुखी है उतना ही कम बोलता है | जो जितना सुखी है उतना ही कम बोलता है | ||
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जो जितना ताकतवर है उतना ही कम | जो जितना ताकतवर है उतना ही कम | ||
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जिसके चलते चल रहा है युद्ध कट रहे हैं लोग | जिसके चलते चल रहा है युद्ध कट रहे हैं लोग | ||
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उसने कभी किसी बन्दूक की घोड़ी नहीं दाबी | उसने कभी किसी बन्दूक की घोड़ी नहीं दाबी | ||
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14:32, 5 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
जो आदमी दुख में है
वह बहुत बोलता है
बिना बात के बोलता है
वह कभी चुप्प और स्थिर बैठ नहीं सकता
ज़रा-सी हवा लगते फेंकता लपट
बकता है लगातार
ईंट के भट्ठे-सा धधकता
जो सुखी-सम्पन्न है
सन्तुष्ट है
वह कम बोलता है
काम की बात बोलता है
जो जितना सुखी है उतना ही कम बोलता है
जो जितना ताकतवर है उतना ही कम
वह लगभग नहीं बोलता है
हाथ से इशारा करता है
ताकता है
और चुप्प रहता है
जिसके चलते चल रहा है युद्ध कट रहे हैं लोग
उसने कभी किसी बन्दूक की घोड़ी नहीं दाबी