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− | |संग्रह= | + | |संग्रह=मलाई जिन्दगी नै दुख्दछ / सुमन पोखरेल |
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− | कति मिठा कति न्याना तिम्रा प्रीतका | + | कति मिठा कति न्याना तिम्रा प्रीतका वर्सात्हरू |
आज आफैँ सुकिगए यी आँखाका प्रपातहरू | आज आफैँ सुकिगए यी आँखाका प्रपातहरू | ||
10:32, 12 जून 2020 के समय का अवतरण
कति मिठा कति न्याना तिम्रा प्रीतका वर्सात्हरू
आज आफैँ सुकिगए यी आँखाका प्रपातहरू
रमाइला रातहरू बेहोशीका वातहरू
खुलेका ती केशहरू सङ्गीतमय हातहरू
अङ्गअङ्ग जताततै यौवनका मातहरू
केलाई छोऊँ केलाई चुमूँ के दिऊँ म सौगातहरू
किन यति छोटा हुन्छन् मधुमासका रातहरू
मनमा कहिल्यै नसकिने पीरतीका बातहरू
खुसी खोस्न आइहाल्छन् यहाँ फेरि प्रभातहरू
कहाँ लुकाऊँ कता लुकाऊँ यी रमाइला साथहरू