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"फुर्ती किन लगाउँछ / सुमन पोखरेल" के अवतरणों में अंतर
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20:44, 17 जुलाई 2024 के समय का अवतरण
जब तिम्रो यादको घनघोर बादल छाउँछ
मनको आकाशमा कुनै सौदामिनी लहराउँछ
फेरिदियो तिम्रो प्यारले अनुहार नै मेरो
हिजोआज ऐना हेर्दा, तिम्रो मुहार मुस्कुराउँछ
विस्मित छु हिजोआज म आफ्नै दृष्टि देखी
हरेक दृष्यमा तिम्रै तसवीर सगबगाउँछ
संसारभरको दु:ख बोकेर बाँचूँ एक्लै कसरी
मेरो जीवन मैसँग हिड्न हिच्किचाउँछ
घमण्डी भो' जिन्दगी यो, छोडिदिएँ साथ मैले
हेरूँ यो एक्लै जान्छ, वा फेरि मलाई बोलाउँछ
पानीको फोकाजस्तै क्षणभङ्गुर छ, सुमन !
तै पनि जिन्दगी यो फुर्ती किन लगाउँछ ?