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"शांत सरोवर का उर / सुमित्रानंदन पंत" के अवतरणों में अंतर
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− | क्यों जाता पिघल-पिघल गल ! | + | मैं चिर उत्कंठातुर |
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− | मैं चिर उत्कंठातुर | + | :यों मौन-मुग्ध किसके बल! |
− | जगती के अखिल चराचर | + | |
− | यों मौन-मुग्ध किसके बल ! < | + | रचनाकाल: फरवरी’ १९३२ |
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10:32, 13 मई 2010 के समय का अवतरण
शांत सरोवर का उर
किस इच्छा से लहरा कर
हो उठता चंचल, चंचल?
सोये वीणा के सुर
क्यों मधुर स्पर्श से मर् मर्
बज उठते प्रतिपल, प्रतिपल!
आशा के लघु अंकुर
किस सुख से फड़का कर पर
फैलाते नव दल पर दल!
मानव का मन निष्ठुर
सहसा आँसू में झर-झर
क्यों जाता पिघल-पिघल गल!
मैं चिर उत्कंठातुर
जगती के अखिल चराचर
यों मौन-मुग्ध किसके बल!
रचनाकाल: फरवरी’ १९३२