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"निस्बत / आलोक श्रीवास्तव-१" के अवतरणों में अंतर
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कुछ चेहरों से | कुछ चेहरों से | ||
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ऎसी निस्बत हो जाती है | ऎसी निस्बत हो जाती है | ||
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जब भी आँखें मूंदो | जब भी आँखें मूंदो | ||
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वो ही शक्ल नज़र आती है | वो ही शक्ल नज़र आती है | ||
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कोई कहीं इक बार मिला था लेकिन | कोई कहीं इक बार मिला था लेकिन | ||
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ज़हनो-दिल के बीच | ज़हनो-दिल के बीच | ||
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अभी भी! | अभी भी! | ||
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उजली-उजली-सी एक मूरत | उजली-उजली-सी एक मूरत | ||
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चलते-फिरते मिल जाती है | चलते-फिरते मिल जाती है | ||
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नाम-पता पूछो | नाम-पता पूछो | ||
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तो | तो | ||
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पाकीज़ा आँखों से कहती है-- | पाकीज़ा आँखों से कहती है-- | ||
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निस्बत । | निस्बत । | ||
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01:04, 10 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
दिल को
कुछ चेहरों से
ऎसी निस्बत हो जाती है
जब भी आँखें मूंदो
वो ही शक्ल नज़र आती है
कोई कहीं इक बार मिला था लेकिन
ज़हनो-दिल के बीच
अभी भी!
उजली-उजली-सी एक मूरत
चलते-फिरते मिल जाती है
नाम-पता पूछो
तो
पाकीज़ा आँखों से कहती है--
निस्बत ।